हाल ही में किया गया सर्वेक्षण COVID-19 लॉकडाउन की घोषणा के लगभग 45 दिनों के बाद श्रमिकों की अनिश्चित स्थितियों का खुलासा करता है. इस सर्वे में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, असम, राजस्थान और झारखंड राज्यों के 1,405 प्रवासियों से टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम से बातचीत कर अनिश्चित स्थितियों का आकलन किया गया था. ‘लेबरिंग लाइव्स: हंगर, प्रीकरिटी एंड डेसपेयर एमिड लॉकडाउन’ नामक इस रिपोर्ट में लॉकडाउन के 45 दिन...
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जून में राष्ट्रीय महिला आयोग को महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की सर्वाधिक शिकायतें मिलीं
-द वायर, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को जून में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 2,043 शिकायतें मिली हैं और यह संख्या पिछले आठ महीने में सर्वाधिक है. एनसीडब्ल्यू के अनुसार, केवल जून में घरेलू हिंसा की 452 शिकायतें मिलीं. कुल 2,043 शिकायतों में से मानसिक एवं भावनात्मक उत्पीड़न की 603 शिकायतें मिलीं और इन मामलों को सम्मान के साथ जीने के अधिकार के तहत दर्ज कराया गया. आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल सितंबर...
More »भारत में पुलिसिया न्याय का अंतहीन अध्याय
-न्यूजलॉन्ड्री, वैसे तो अंग्रेजों के द्वारा बनायी और उसी समय के पुलिस एक्ट से चल रही भारतीय पुलिस हर रोज अपनी क्रूरता, निरंकुशता एवं कानून विरोधी गतिविधियों के लिए खबरों एवं चर्चा में बनी रहती है परन्तु हाल में अमेरिका में जॉन फ्लायड की पुलिस द्वारा निर्मम हत्या के सन्दर्भ में यह बात चर्चा आयी थी कि कैसे भारत में भी पुलिस ने दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान घायल नवयुवकों...
More »श्रम क़ानूनों में ढील देने से बाल मज़दूरी बढ़ेगी
-द वायर, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के गठबंधन ने लॉकडाउन के बाद श्रम कानूनों में ढील देने से महिला श्रमिकों पर दुष्प्रभाव पड़ने और श्रमबल में बाल मजदूरों की शामिल होने की आशंका जताई है और सरकार से विधेयक की समीक्षा करने की अपील की है. गठबंधन- वर्किंग ग्रुप ऑन वुमेन इन वैल्यू चैन्स (डब्ल्यूआईवीसी) ने रेखांकित किया है कि कैसे आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तर पर दी...
More »कश्मीर में मीडिया और इंटरनेट पर लगाए गए प्रतिबंधों से भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग गिरी, हालांकि स्कोर में हुआ सुधार
हाल ही में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स - आरएसएफ) जोकि एक मीडिया वॉचडॉग संगठन है और अभिव्यक्ति व सूचना की स्वतंत्रता के लिए काम करता है, ने एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2018 हुई छह पत्रकारों की हत्याओं से उल्ट साल 2019 में पत्रकारों की हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया. तब भी यह कहना गलत होगा कि...
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