गांधी और उनके ग्राम स्वराज के सपने पर नयी दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष और प्रसिद्ध गांधीवादी राधा भट्ट्र से पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह ने बातचीत की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश : अक्सर इस बात पर चर्चा होती है कि भारत गांवों का देश है, देश की प्रगति तभी संभव होगी जब गांवों की प्रगति होगी? लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इस चर्चा को कितनी जगह मिल पायी...
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गांव के हुनर को ऊंची उड़ान
सिरचन के नखरे भी गांव के लोग खुशी-खुशी उठाते थे. उसकी झोपड़ी के आगे ब.डे-ब.डे लोगों की सवारी बंधी रहती थी. लोग उसकी खुशामद करते थे. उसकी इज्जत करते थे. वह न तो साधु था, न साहूकार. न ऊंचे पद पर था, न ऊंजी जाति का. उसकी जाति तो कारीगर की थी. ऐसा कारीगर, जो कुशल था, जिसके हाथ में हुनर था. फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘ठेस’ का यह सेंट्रल...
More »सातवीं पास इंजीनियर
आंध्र प्रदेश में वारंगल से 15 किलोमीटर दूर एक बस्ती में मशहूर पोचमपल्ली रेशमी साड़ियां बनानेवाले कारीगर रहते हैं. बस्ती की महिलाएं दिन भर साड़ी के लिए रेशमी धागा तैयार करने में लगी रहती हैं. पहले धागे की फ़िनिशिंग 42 पिनों वाले आसू नामक उपकरण से की जाती थी. इसके जरिये एक साड़ी लायक धागा तैयार करने में एक महिला को औसतन नौ हजार बार अपने हाथों को आगे-पीछे करना पड़ता था, जिससे ना...
More »नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी
बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...
More »राजस्थान बजट 2011: रोटी-कपड़ा सस्ता, पर मकान बनाना महंगा
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्रालय का काम देख रहे अशोक गहलोत ने बुधवार को जैसे ही पढ़ना शुरू किया तो इसके साथ ही यह तय हो गया कि इस बार बजट पिछड़ों, गरीब तबकों, अल्पसंख्यकों के लिए काफी कुछ लेकर आया है। हालांकि इन योजनाओं का असर प्रदेश पर कितना होगा, यह आंकड़ें और योजनाओं का आकार तय नहीं कर सकता। लेकिन ये तय है कि शिक्षा, पानी और ऊर्जा प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं...
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