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साल 2000 से बिगड़ रहे हैं महाराष्ट्र के सात जिलों में हालात, सूखे की वजह से घट रही फसलों की पैदावार

डाउन टू अर्थ, 30 मई एक नए अध्ययन में चेतावनी दी है कि मानवजनित कारणों से भारत के कई हिस्सों में सूखा पड़ सकता हैं। बढ़ते सूखे की वजह से भारत के खासकर, महाराष्ट्र राज्य के अर्ध-शुष्क क्षेत्र में कृषि उपज पर बुरा असर पड़ेगा। अध्ययन में, उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारणों की पीछे घटते जल स्तर, बढ़ते तापमान और बदलते फसल पैटर्न का हवाला दिया गया है। ऐतिहासिक रूप में...

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छत्तीसगढ़ः हाथियों की सिर्फ 1% आबादी के बावजूद क्यों बढ़ रहा है मानव-हाथी संघर्ष

मोंगाबे हिंदी, 24 मई छत्तीसगढ़ के बालोद ज़िले के कुंजकन्हार गांव की रहने वाली 60 साल की गीताबाई को शायद अनुमान नहीं रहा होगा कि घर से सुबह-सुबह बाहर निकलना उनके लिए जानलेवा साबित होगा। 16 मई की सुबह जब वो घर से निकल कर खेत की ओर गईं तभी एक जंगली हाथी ने उन्हें कुचल कर मार डाला। इसी तरह 15 मई की सुबह सुरजपुर ज़िले के बगड़ा गांव के 55...

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चारा संकट की जड़ें, भाग एक: हरित क्रांति के समय से शुरू हो गई थी समस्या

डाउन टू अर्थ, 15 मई  भारत विश्व की 20 प्रतिशत पशुधन आबादी के साथ सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन के अनुसार, यहां के 70 प्रतिशत परिवार आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि एवं इससे जुड़े व्यवसाय पर निर्भर हैं। पशुपालन आदि काल से ही मानव सभ्यता के साथ जुड़ा रहा है, परंतु पिछले कुछ सालों में चारे की बढ़ती...

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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओजोन को कर सकता है कमजोर

डाउन टू अर्थ, 06 अप्रैल  धरती को सूर्य से बचाने वाली ओजोन परत को कमजोर करने वाली क्लोरोफ्लोरोकार्बन पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि कुछ मानव निर्मित क्लोरोफ्लोरोकार्बन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। जलवायु में बदलाव करने वाला यह उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन के अनुसार, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद, पांच क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) 2010 से 2020 तक...

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भारत के राज्य मानवाधिकार आयोगों में दो में से क़रीब एक पद ख़ाली: रिपोर्ट

द वायर , 5 अप्रैल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तर्ज पर पूरे भारत में 25 राज्य मानवाधिकार आयोग स्थापित हैं. हालांकि, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर) 2022 इन राज्य आयोगों में मानव संसाधन की भारी कमी होने का विवरण देती है- इसमें बताया गया है कि ये आयोग उस काम को करने की स्थिति में नहीं है जो उन्हें सौंपा गया है. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग...

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