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नया कंपनी राज- पुष्परंजन

जनसत्ता 31 मई, 2012: इसे ‘केला गणतंत्र’ कहें तो कई लोगों को आपत्ति हो सकती है। लेकिन दिशाहीन राजनीति और डोलती अर्थव्यवस्था के लिए ‘बनाना रिपब्लिक’ जैसे शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी लेखक ओ हेनरी ने 1904 में अपनी पुस्तक ‘कैबेज एंड किंग्स’ में किया था। ओ हेनरी 1896-97 में बैंक घोटाले के एक मामले में अमेरिका से गायब हो गए थे, और होंडुरास में शरण ली थी। उस दौरान मध्य अमेरिकी...

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क्या योरोप खुद को बचा पाएगा- पॉल क्रुगमैन

हाल के कुछ महीनों के दौरान मैंने यूरोप की संभावनाओं के बारे में कई आशावादी मूल्यांकन देखे। आश्चर्यजनक रूप से इनमें से कोई भी मूल्यांकन यह बता पाने में असमर्थ था कि यूरो संकट के हल के लिए जर्मनी ने जो फॉरमूला दिया है, उसकी सफलता की कोई संभावना है भी या नहीं। इसके विपरीत ये मूल्यांकन यूरो की विफलता की उस आशंका को ही अधिक व्यक्त करते दिख रहे...

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अभी और बढ़ेगी महंगाई

साल २००५ से २००७ के बीच दुनिया में गेंहूं, चावल और तेलहन के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है और इन चीजों के दामों में साल २००८ की पहली छमाही में भी बढ़ोतरी जारी रही।ओईसीडी(आर्गनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगामी दस सालों में चावल-गेहूं सहित बाकी अनाज और तेलहन में पिछले दशक के मुकाबले १० से ३५ फीसदी की बढ़ोतरी होगी।...

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