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यूपी: लिंचिंग, पुलिस की जाँच और इंसाफ़

-बीबीसी, साल 2015 की बात है, यूपी के दादरी में अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, ये गाय के नाम पर की गई मॉब लिंचिंग की संभवत: पहली घटना थी जो आने वाले वक्त में एक तयशुदा स्क्रिप्ट की तरह दोहराई जाने लगी. बीते छह साल में देश के कई राज्यों से एक-के-बाद एक लिंचिंग की ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जिनमें मारे जाने वाले व्यक्ति की धार्मिक पहचान उसकी हत्या...

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आर्यन -वानखेड़े प्रकरण के बाद IPS-IRS-IAS खुद से सवाल पूछें कि अपनी शपथ को लेकर वो कितने ईमानदार हैं

-द प्रिंट, जब तक आप यह लेख पढ़ रहे होंगे, आर्यन खान शायद जेल से बाहर निकल रहे होंगे- बेशक 25 दिन की देरी से. इस मामले के बारे में अब तक हम जो कुछ जान पाए हैं वे यही बताते हैं कि उनकी गिरफ्तारी, उन्हें जेल में रखना और उन पर एक कठोर कानून के तहत मामला दायर करना कतई जायज नहीं था. उनके कड़वे प्रकरण ने समीर दाऊद/ज्ञानदेव वानखेड़े...

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लखीमपुर खीरी हिंसा: दहशत और बाहुबल पर खड़ा महाराज अजय मिश्र टेनी का किला

-न्यूजलॉन्ड्री, लखीमपुर खीरी के बनवीरपुर में महिषादेवी सरस्वती माध्यमिक विद्यालय नाम का एक स्कूल है. जिसमें आसपास के इलाकों जैसे निघासन, बनवीरपुर और तिकुनिया से कई बच्चे पढ़ने आते हैं. यह स्कूल गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का है. यहां कक्षा छह में पढ़ने वाली पायल बताती हैं, "मेरी कक्षा में चार सरदार बच्चे पढ़ते हैं. कुछ दिनों से वो पढ़ने नहीं आ रहे हैं," इससे साफ पता चलता है कि लखीमपुर...

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गाँधीवाद के सही पाठ का सवाल हमारी अस्तित्व-रक्षा से जुड़ा है!

-जनपथ, साम्प्रदायिक एकता गांधीजी के लिए महज एक आदर्श नहीं थी, वह उनकी आत्मा में रची बसी थी। साम्प्रदायिक सद्भाव तथा समरसता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे साम्प्रदायिक हिंसा से आहत थे, व्यथित थे, राष्ट्रध्वज फहराने तथा राष्ट्र के नाम संदेश देने के अनिच्छुक थे और नोआखाली के ग्रामों की संकीर्ण गलियों में अपने प्राणों...

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महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव

-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...

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