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सीमा के प्रहरी बनना चाहते हैं गुमला के असुर-- दुर्जय पासवान

आमतौर पर जंगल में रहनेवाले आिदम जनजाति के लोग शहरों में जाना पसंद नहीं करते. इसलिए सदियों तक शिक्षा से दूर रहे. शहरी समाज से खुद को अलग-थलग रखा. लेकिन, धीरे-धीरे ये लोग अब मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं. गुमला के िबशुनपुर प्रखंड से 45 किमी दूर पोलपोट पाट गांव में बसनेवाले असुर जाति के युवा देश की सीमा के सुरक्षा प्रहरी बनना चाहते हैं और इसके लिए जी-तोड़ मेहनत...

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श्रमदान से बदल रही दंतेवाड़ा क्षेत्र के बिंजाम गांव की तस्वीर

पिनाकी रंजन दास, दंतेवाड़ा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का आह्वान किया था। पीएम के इस आह्वान के बाद स्वच्छता मिशन को लेकर हर तबका जागरूक नजर आ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के इस मिशन से बिंजाम गांव की कहानी थोड़ी हटकर है। जिला मुख्यालय से लगभग पांच किमी दूर प्राचीन शिव मंदिर के लिए चर्चित समलूर के...

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जल सहिया की सक्रियता से स्वच्छ बना बेड़ो का गडरी गांव

आज गडरी का हर ग्रामीण शौचालय निर्माण के बहाने स्वच्छता को अपने जीवन में उतारने की शत-प्रतिशत आदत विकसित कर रहा है. रांची जिले की बेड़ो प्रखंड कार्यालय से सटी है नेहालू कपाड़िया पंचायत. रांची जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर यह जगह स्थित है. बेड़ो प्रखंड कार्यालय से 10 किमी आगे बढ़ने पर लापुंग जाने को एक सड़क बायीं ओर मुड़ती है. मोड़ पर ही एक बोर्ड...

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खुद बनायें गांवों की खुशहाली की योजना

पिछले महीने भारत सरकार ने पंचायतों के लिए निर्देश जारी किया है कि वे जनवरी और फरवरी महीने के दरम्यान अपने गांवों में आर्थिक कल्याण के मसले पर एक ग्राम सभा जरूर करें. इस निर्देश में जिक्र है कि इस मौके पर कृषि, पशुपालन, मनरेगा, आजीविका मिशन, बागवानी, मत्स्य पालन, बीआरजीएफ, जलछाजन, मृदा संरक्षण, सिंचाई, विद्युतीकरण, हथकरघा, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंसकरण, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम आदि के अधिकारी ग्राम सभा में जरूर...

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ग्रामीणों ने दिखाया आईना

जागरण प्रतिनिधि, कालसी: सरकारी उपेक्षा से खिन्न खतार, कोफ्टी, समाया, भुक्तार गांव के ग्रामीणों को खुद ही बेलचा, कुदाली, गेंती, फावड़ा, संबल उठाना पड़ गया। ग्रामीणों ने बेसोगिलानी खड्ड से रावटा खान तक श्रमदान कर एक किलोमीटर मार्ग खुद ही ठीक किया। थैना महासू मंदिर में जागड़ा पर्व को देखते हुए ग्रामीणों को खुद ही श्रमदान का निर्णय लेना पड़ा। लंबे समय से ग्रामीण बेसोगिलानी से थैना मंदिर तक पक्की रोड...

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