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मोदी जी, सुधार तो बाद की बात है, किसानों को कैश की जरूरत है

-द क्विंट, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पांच किस्तों में हमें उन ‘वित्तीय प्रोत्साहन’ और सुधारों का ब्यौरा दिया जिसकी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने की थी. तीसरी किश्त में निर्मला ने कृषि क्षेत्र की बात की और ऐतिहासिक सुधारों का ऐलान किया जैसे कि: 1) आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर कृषि सामग्री में छूट देना; 2) कृषि उत्पादन विपणन समित अधिनियम यानी APMC...

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आपदा को अवसर में बदलिये तो पक्का कीजिए कि उसका लाभ कुछ मुट्ठियों में ही बन्द न हो पाये

-द प्रिंट, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के पांचवें और अंतिम भाष्य से पहले नरेन्द्र मोदी सरकार के कट्टर आलोचकों को भी उम्मीद नहीं रही होगी कि प्रधानमंत्री ने देशवासियों के नाम अपने संदेश में कोरोनावायरस की आपदा को अवसर में बदलने की जो बात कही है, उसका अर्थ यह है कि आपदा जब तक आपदा रहेगी, देशवासियों के नाम रहेगी और जैसे ही अवसर में बदलेगी, निजी क्षेत्र...

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कृषि पैकेज, मार्केटिंग रिफॉर्म्स और राजनीति के पेच

-आउटलुक, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 मई को राष्ट्र को संबोधन में देश की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी से उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के भारी-भरकम राहत पैकेज की घोषणा के बाद से ही समाचार माध्यमों में लगातार बड़ी सुर्खियां बन रही हैं।” इस पैकेज की विस्तृत जानकारी का जिम्मा उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दे दिया था और वह किस्तों में 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का...

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पंजाब: लॉकडाउन के चलते हुए नुकसान से डेयरी कारोबार को छोड़ना चाहते हैं पशुपालक

-गांव कनेक्शन,  कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के चलते पंजाब के दुग्ध उत्पादन पर कहर बनकर टूटा है। सूबे में दुग्ध उत्पादन का धंधा, कृषि क्षेत्र की कुल घरेलू पैदावार का एक तिहाई हिस्सा है। ग्रामीण-पंजाब के 34 लाख परिवारों में से कम से कम 60 फ़ीसदी परिवार इस धंधे से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर के लगभग 20 हजार प्रवासी गुर्जर परिवार भी पंजाब में...

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प्रवासी मजदूर : नए दौर के नए अछूत

ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय मुझे बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर मिले हैं, जो अक्सर कहते हैं, “परेशान होकर हम शहरों में आए हैं। हम गांव में थोपी गई जाति व्यवस्था के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।” ऐसा नहीं है कि केवल गांव ही “महान भारतीय जाति व्यवस्था” का पालन करते हैं, लेकिन इस व्यवस्था से सबसे अधिक पीड़ित वे गरीब हैं जो जाति के सबसे निचले...

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