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जच्चा-बच्चा सर्वे: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मातृत्व लाभ से वंचित है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...

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विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में महामारी के दौरान विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में चीन के मुकाबले भारत पिछड़ा!

पिछले एक वर्ष के दौरान, कोविड-19 महामारी द्वारा लाई गई मंदी की बदौलत विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में भारत पिछड़ता नजर आ रहा है. साल 2020 में देश में कुल गरीब लोगों की संख्या बढ़ गई है और मध्यम वर्ग पहले की तुलना में कम हो गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका के थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन से...

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PM स्वनिधि के तहत निजी बैंकों से स्ट्रीट वेंडर्स को अब तक केवल 1.6% लोन मिला

-द प्रिंट, कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रभावित रेहड़ी-पटरी वालों को छोटे-मोटे कर्ज की सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री की तरफ से आत्मनिर्भर निधि योजना घोषित किए जाने के 10 महीने बाद आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय का डेटा दर्शाता है कि निजी बैंक इन स्ट्रीट वेंडर को लोन देने से कतरा रहे हैं. पीएम स्‍वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर 1 वर्ष की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक की...

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नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री

-द वायर, राजनीतिक-आर्थिक सुधारों के प्रति रवैये की बात करें, तो 2021 के नरेंद्र मोदी, 2015 के नरेंद्र मोदी से काफी अलग नजर आते हैं. इन दो अलग-अलग रवैयों के पीछे के कारण और प्रेरणाएं अपने आप में अध्ययन का विषय हैं. 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के ड्राफ्ट बजट प्रस्तावों को यहां याद किया जा सकता है. उस समय के सुधारों का केंद्रबिंदु आखिरकार सरकार के नियंत्रण में रह जानेवाले...

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कोरोना महामारी ने मनरेगा के सामाजिक ऑडिट सिस्टम को प्रभावित किया है!

जब महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) - एक मांग-संचालित कार्यक्रम पर सार्वजनिक धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है, तो वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन की संभावना होती है. शुक्र है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए चेक और बैलेंस मौजूद हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) के तहत 2020-21 के लिए...

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