SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 89

जेएनयू हिंसा: नए-नए दुश्मन की तलाश में सर्वनाशी सियासत

जेएनयू में हुई विस्मयकारी हिंसा से आपको यह आसान बात समझा आ जानी चाहिए कि भारत एक ऐसी सत्ता द्वारा शासित हो रहा है जिसके होने का एकमात्र कारण विरोध का ज़रिया ढूंढ़ना और उसे क्रूरता से कुचलना है. कायर ठगों का भारत के सबसे प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक में इस तरह घूमना, शिक्षकों और विद्यार्थियों का सर फोड़ देना, जेएनयू प्रशासन द्वारा मामूली हाथापाई बताकर दरकिनार करने वाली...

More »

नेतृत्व जो जनजातियों को नहीं मिला- रामचंद्र गुहा

भारतीय संविधान ने दो सामाजिक समूहों को विशेष रूप से वंचित माना है। पहला, अनुसूचित जाति, जिसे बोलचाल की भाषा में दलित कहा जाता है, जबकि दूसरा समूह है अनुसूचित जनजाति, जिसे अमूमन आदिवासी माना जाता है। दोनों समूह अपनी रचना में असाधारण रूप से एक-दूसरे के विपरीत हैं। भाषा, जाति, गोत्र, धर्म और आजीविका जैसे तमाम मामलों में पूरी तरह से जुदा। आंध्र प्रदेश की मडिगा जाति और उत्तर...

More »

गरीब की मौत पर तमाशा-- शशिशेखर

राजनीतिज्ञों का एक बड़ा वर्ग यह कहकर मूंछें ऐंठता आया है कि 2005 से 2015 के बीच भारत ने 27 करोड़ लोगों को गरीबी के अभिशाप से मुक्त किया और देश में गरीबी 50 फीसदी से घटकर 28 प्रतिशत तक आ गई। अगर यह सच है, तो फिर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक साल-दर-साल इतनी बड़ी संख्या में अकाल मौत के शिकार होने वाले लोग कौन हैं? आपको जानकर आश्चर्य...

More »

नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशनल स्कीम: 20 लाख युवाओं को करना था रोज़गार के लिए तैयार, हुए सिर्फ 2.90 लाख

नई दिल्ली: भारत वाकई दुनिया का एक अद्भुत देश है. यहां बेरोजगारी भी एक बहुत बड़ा रोजगार है. खासकर सियासत और नौकरशाही के लिए. बेरोजगारी न होती तो हजारों करोड़ रुपये का मनरेगा न होता और मनरेगा के नाम पर मची लूट न होती. एक ऐसी लूट, जिसने पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को सांस्थानिक स्वरूप दे दिया. बेरोजगारी न होती तो दो करोड़ नौकरी हर साल देने का वादा न होता...

More »

स्वच्छ चुनाव के विभिन्न आयाम- अजीत रानाडे

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें ‘अपराधी' उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता का तात्पर्य ऐसे उम्मीदवारों से था, जिन पर हत्या, हत्या की कोशिश, भयादोहन, बलात्कार, अपहरण या गबन के अभियोग लगे हैं, पर अभी उन्हें उक्त अपराध में दोषसिद्ध करार न दिया गया हो. चूंकि न्यायिक प्रक्रिया दशकों लंबी खिंच सकती है और जब तक...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close