-कारवां, केरल का आदिवासी समुदाय हमेशा से ही माध्यमिक और उच्च शिक्षा के मामले में बड़े नुकसान में रहा है और कोविड-19 महामारी के समय में आदिवासी छात्रों के सामने आने वाली मुश्किलें बढ़ गई हैं. केरल में स्कूलों और कॉलेजों ने डिजिटल क्लास लेनी शुरू की है लेकिन अक्सर आदिवासी और दलित छात्रों के लिए इस रूप में पढ़ाई कर सकना लगभग असंभव है. समाज के हाशिए पर रहने वाले...
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लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को रोका जा सकता था
-द वायर, अप्रैल-मई 2020 में राष्ट्रीय लॉकडाउन से लोगों के रोजगार और आय पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा. उदाहरण के लिए, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर इकोनॉमिक परफॉरमेंस के द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग आधे शहरी कामगारों ने उस अवधि के दौरान कोई आय अर्जित नहीं की. कई सार्वजनिक सेवाएं भी कम या बंद कर दी गईं. इसमें नियमित स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान...
More »क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?
-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...
More »उत्तराखंड: बिगड़ते मौसम, स्मार्टफोन की कमी और खराब इंटरनेट से पहाड़ के बच्चे नहीं कर पा रहे पढ़ाई
-गांव कनेक्शन, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 175 किलोमीटर दूर टिहरी गढ़वाल जिले के प्रतापनगर ब्लॉक के सरकारी प्राथमिक स्कूलों और जूनियर हाई स्कूलों में लगभग 6500 छात्र प्रारंभिक शिक्षा ले रहे हैं। कोरोना महामारी के दौर में देशभर के स्कूल ऑनलाइन शिफ्ट हो गए हैं। लेकिन, हिमालयी राज्य के इस ब्लॉक में केवल 38 प्रतिशत छात्र ही ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं, जबकि 60 प्रतिशत से अधिक छात्र...
More »असली सवाल तो शिक्षा की लागत, टैक्स और कीमत के हैं जिन पर उसकी गुणवत्ता टिकी है
-इंडिया टूडे, मरीजों ने महंगे और घटिया खाने पर अस्पताल प्रबंधन को घेरा तो चालाक निदेशक ने बहस शुरू करा दी. मांसाहार बनाम शाकाहार, काली दाल बनाम पीली दाल, चना बनाम गेहूं को लेकर मोर्चे बंध गए. इतिहास खोदा जाने लगा. इस बीच अस्पताल का निजाम नई कंपनी को मिल गया, जिसने अच्छे भोजन की महंगी दर तय कर दी. कुछ लोग उसे खरीद पाए, बचे लोग सड़े दाल-चावल पर लौट...
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