रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के भूमि एवं वर्षा जल प्रबंधन विभाग के बंद होने के बाद से राज्य में वर्षा जल पर पांच साल से अनुसंधान बंद है। इसके विशेषज्ञों के शोध के बाद खेतों को सिचिंत करने २००३ में एक लाख डबरी बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस पर काम हुआ लेकिन बाद में सरकार बदलते ही इस योजना को बंद कर दिया गया।...
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हरे कानून बदलेंगे रहन-सहन की तहजीब
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन के खतरों के खिलाफ देश में धीरे-धीरे खड़ी हो रही हरे कानूनों की नई बाड़ का असर आने वाले कुछ दिनों में आम आदमी की जिंदगी पर नजर आने लगेगा। मामला साफ हवा के नए मानकों का हो या ई-कचरे को नियंत्रित करने के पैमानों का। पर्यावरण केंद्रित नियम-कायदों का नया सांचा देश में रहन-सहन की तहजीब को नई शक्ल देने में जुटा है। बीते एक साल में सरकार...
More »‘अब हर किसी को गेहूं और चावल चाहिए’- शरद पवार
सुबह के आठ बजे हैं. लेकिन 69 वर्षीय भारत के कृषि मंत्री शरद पवार अपने दिल्ली स्थित घर में बने ऑफिस में व्यस्त हो चुके हैं...अनाज और सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के मुद्दे पर आलोचनाओं से घिरे पवार ने अजित साही और राना अय्यूब से उनके कार्यकाल में कृषि नीतियों पर काफी लंबी बात की. साक्षात्कार के अंश यूपीए सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन यूपीए जब सत्ता...
More »विलुप्त हो रहे परंपरागत बीजों को बचाने की दरकार
हरित क्रांति की शुरुआत करने वाले नॉर्मन बोरलॉग को हाइब्रिड यानी संकर किस्म के बीज तैयार करने के लिए अक्सर याद किया जाता है लेकिन आज छोटे किसानों के कई ऐसे समूह हैं जो पारंपरिक बीजों की खोज कर रहे हैं। ऐसे बीजों की बुआई कुछ जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर होती है और वहां हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल नहीं होता है। दो साल पहले छत्तीसगढ़ में भारी बारिश हुई...
More »खेतिहर संकट
खास बात · घाटे का सौदा जानकर तकरीबन २७ फीसदी किसान खेती करना नापसंद करते हैं। कुल किसानों में ४० फीसदी का मानना है कि विकल्प हो तो वे खेती छोड़कर कोई और धंधा करना पसंद करेंगे। # पिछले चार दशकों में भूस्वामित्व की ईकाइ का आकार ६० फीसदी घटा है। साल १९६०-६१ में भूस्वामित्व की ईकाइ का औसत आकार २.३ हेक्टेयर था जो साल २००२-०३ में घटकर १.०६ हेक्टेयर रह गया।" · पंजाब...
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