बाढ़ ने भले ही देश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया हो या रेडक्रॉस ने भारत, नेपाल और बांग्लादेश में आयी बाढ़ को दक्षिण एशिया में गंभीर मानव संकट करार दिया हो, लेकिन भारत की राजनीति इस बाढ़ से सूखी है. ऐसा लगता है कि देश की राजनीति को कोई फर्क नहीं पड़ता कि अकेले बिहार में 1 करोड़ से ज्यादा लोग, तकरीबन पूरा...
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बेदम इकाई का निजीकरण ही भला - डॉ. भरत झुनझुनवाला
आखिरकार सरकार ने एअर इंडिया के निजीकरण का निर्णय ले ही लिया। सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण के विरुद्ध पहला तर्क मुनाफाखोरी का दिया जा रहा है। जैसे ब्रिटिश रेल की लाइनों की कंपनियों का निजीकरण कर दिया गया। पाया गया कि रेल सेवा की गुणवत्ता में कमी आई। रेलगाड़ियों ने समय पर चलना बंद कर दिया। सुरक्षा पर खर्च में कटौती हुई, परंतु रेल का किराया नहीं घटा। दक्षिण अमेरिका...
More »अनूठा स्कूल : सालाना फीस डेढ़ क्विंटल अनाज, दस किलो दाल
गोपाल माहेश्वरी, डही (धार)। सालभर की पढ़ाई और रहने-खाने का खर्च शहरों के आवासीय विद्यालयों में हजारों-लाखों रुपए में होता है, लेकिन धार जिले के डही कस्बे से 18 किमी दूर ककराना के राणी काजल जीवन शाला की बात अलग है। यहां आदिवासी मजदूरों के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एक बच्चे की साल भर की पढ़ाई और रहने-खाने के बदले अभिभावकों को फीस के बदले डेढ़ क्विंटल अनाज और...
More »प्रदूषण की चपेट में समुद्री जीवन-- अरविन्द कुमार सिंह
हाल ही में ‘नेचर जियोसाइंस' पत्रिका का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि वायु प्रदूषण की वजह से समुद्री जीवन विषैला बन रहा है। यह खुलासा स्पेन के वैज्ञानिकों ने किया है। उनके शोध के मुताबिक जीवाश्म र्इंधन का उपयोग, औद्योगिक कार्बन उत्सर्जन और जंगल की आग समुद्री जीवन को जहरीला बना रहे हैं। इन वैज्ञानिकों का दावा है कि इनसे उत्सर्जित पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (पीएएचएस) नामक घातक रसायन...
More »आर्थिक सुधारों के दौर में- तवलीन सिंह
पच्चीस साल पहले लाइसेंस राज को समाप्त करने का पहला कदम उठाया था प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने। अफसोस कि जिस तरह नरसिंह राव को भुलाने का काम किया है कांग्रेस पार्टी ने, उसी तरह देशवासियों ने भुला दिया है वह दौर, जो कायम था लाइसेंस राज के समाप्त होने से पहले। नई पीढ़ी के भारतीय तो कल्पना भी शायद नहीं कर सकते उस भारत की, जिसमें तकरीबन हर भारतवासी की...
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