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जानिए क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, जिसके चलते पेरू में लगाना पड़ा स्वास्थ्य आपातकाल

डाउन टू अर्थ, 12 जुलाई  गुइलेन-बैरे सिंड्रोम या जीबी सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों की संख्या में वृद्धि होने के बाद दक्षिण अमेरिकी देश पेरू ने गत शनिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा कर दी है। यह आपातकाल 90 दिनों के लिए लगाया गया है। इस बारे में 10 जुलाई 2023 को पैन अमेरिकन हेल्थ आर्गेनाईजेशन (पाहो) द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि पेरू में 08 जुलाई तक जीबी सिंड्रोम...

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वर्ल्ड हेल्थ असेंबली: मूल निवासियों के स्वास्थ्य को सशक्त करने के लिए ऐतिहासिक संकल्प को मंजूरी

डाउन टू अर्थ, 01 जून वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने अपने 76वें सत्र में मूल निवासियों के स्वास्थ्य को सशक्त करने के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत मूल निवासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक वैश्विक कार्य योजना को तैयार करने और उसे 2026 में वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के 79वें सत्र में प्रस्तुत करने का आह्वान किया है। असेंबली ने कहा है कि इस...

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पोषण की दरकार: अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने हैं 31.7 फीसदी भारतीय बच्चे, इस मामले में भी है देश अव्वल

डाउन टू अर्थ, 26 मई भारत में कुपोषण की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है। यहां बहुतों को तो पेट भर खाना भी नहीं मिलता और जिनको मिल भी रहा है उनके भोजन में पोषण की भारी कमी है। इसका खामियाजा नन्हें बच्चों को उठाना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट ने भारत में पोषण की स्थिति को लेकर हैरान कर देने वाले आंकड़े जारी किए...

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राजस्थानः फैक्ट्री के प्रदूषण से फसल और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव, प्रदूषण बोर्ड ने फैक्ट्री को दिया क्लीन चिट

मोंगाबे हिंदी, 8 मई सुभाष वैष्णव, 52, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा कस्बे में रहते हैं। वह हर दिन सुबह 5 बजे उठते हैं और घर के रोजमर्रा के कामों को निपटा कर अपनी दुकान खोलने के लिए निकल पड़ते हैं। उनकी दुकान यहां से 20 किलोमीटर दूर, उनके पैतृक गांव रूपाहेली कला में स्थित है। चार साल पहले वैष्णव ने अपनी 30 साल पुरानी बिजली की दुकान और रूपाहेली...

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जीरो-डोज बच्चों के मामले में पहले नंबर पर भारत, जीवन रक्षक टीकों से पूरी तरह वंचित हैं 27 लाख बच्चे

डाउन टू अर्थ, 20 अप्रैल  दुनिया में जीरो-डोज बच्चों के मामले में भारत पहले स्थान पर है। जहां 27 लाख बच्चों को जीवन रक्षक टीकों की एक भी खुराक नहीं मिली है। देखा जाए तो आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति दयनीय है, जोकि चिंता का विषय है। यदि महामारी से पहले के आंकड़ों को देखें तो जहां देश में शून्य-खुराक वाले बच्चों की संख्या 13...

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