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खेती की सुध कब लेगी सरकार- एम के वेणु

उत्तर और पश्चिमी भारत के किसानों को इस वर्ष के प्रारंभ में तब भारी संकट का सामना करना पड़ा था, जब बेमौसम बरसात के कारण उनकी रबी की पकी फसलें खेतों में बर्बाद हो गई थीं। उस भयावह अनुभव के बाद (जिसने दस एकड़ से कम कृषि भूमि वाले छोटे और मंझोले किसानों की आर्थिक हालात को काफी प्रभावित किया था) अब हम पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्से,...

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मुद्रा योजनाःसरकार गांव-गांव शिविर लगाकर देगी लोन

केंद्र की भाजपा सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को लेकर अचानक से सक्रिय हो गई है। एक तरफ योजना के तहत 31 मार्च 2016 तक दिए जाने वाले कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 1.22 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है, वहीं वित्त मंत्रालय ने लोन बांटने के लिए सभी सरकारी बैंकों को हर शहर और हर गांव में विशेष शिविर लगाने का निर्देश दिया है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को दिल्ली से हो...

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थकी-हारी, घबराई सेक्युलर राजनीति- योगेन्द्र यादव

सेक्युलरवाद हमारे देश का सबसे बड़ा सिद्धांत है। सेक्युलरवाद हमारे देश की राजनीति का सबसे बड़ा पाखंड भी है। सेक्युलरवाद अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है। सेक्युलर राजनीति की दुर्दशा देखनी हो, तो बिहार आइए। यहां नैतिक, राजनीतिक, जातीय और संयोगों के चलते भाजपा की विरोधी बन गई सभी ताकतें सेक्युलरवाद की चादर ओढ़कर चुनाव लड़ रही हैं। उधर लोकसभा चुनाव जीतकर अहंकार में चूर भाजपा और उसके सहयोगी सेक्युलर भारत...

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विकास और जाति का गणित- नीलांजन मुखोपाध्याय

एक बात पर आम सहमति है कि बिहार विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी अहम होगा। चूंकि विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार को कई नाकामियों का सामना करना पड़ा है, इसलिए बिहार के चुनाव में जीत उन्हें उससे उबरने में मदद कर सकती है। इसके विपरीत, अगर बिहार में भाजपा का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहता, तो नीतिगत पंगुता की स्थिति पैदा होगी और प्रधानमंत्री मोदी की छवि...

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चुनावी बाढ़ में सूखे का समाचार- चंदन श्रीवास्तव

हम सारी बातों पर बहस नहीं करते. बहस का विषय वही बातें बनती हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण मान कर समाचार के रूप में परोस दिया गया हो. एक समय में एक ही जगह अनेक घटनाएं हो रही होती हैं और वे समान रूप से महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन सबके भाग्य में समाचार होना नहीं लिखा रहता. जो घटनाएं समाचार बनने से रह जाती हैं, वे हमारी चिंता के दायरे से भी...

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