मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...
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इस आधार को चाहिए नया विस्तार-- नंदन नीलेकणि
आधार इसलिए बनाया गया था, ताकि तमाम लोगों को एक अद्वितीय व डिजिटल पहचान दी जा सके। मगर आज खुद आधार की पहचान सवालों के घेरे में है। ऐसे कई लोग हैं, जो यह बताते नहीं थकते कि आधार एक बचत योजना है। अपने तर्कों में वे इसे एक अप्रभावी बचत योजना भी कहते हैं। चूंकि आधार-निर्माण की प्रक्रिया में मैं भी शामिल रहा हूं, इसलिए यह दावे से कह...
More »क्यों पिछड़ जाते हैं हमारे विश्वविद्यालय -हरिवंश चतुर्वेदी
वर्ष 2018 के लिए जो एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग सूची जारी हुई है, उससे भारत के लिए कुछ सुखद संकेत मिले हैं। 350 विश्वविद्यालयों की इस सूची में भारत के 42 विश्वविद्यालयों को इस बार स्थान मिला है। यह रैंकिंग जिन 13 आधार पर की गई है, उनमें 12 पर भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपनी स्थिति बेहतर बनाई है। विश्व स्तर पर विश्वविद्यालयों की रैंकिंग ऐसा मुद्दा है, जिसके भारत जैसे विकासशील...
More »बाल विवाह उन्मूलन की राह-- रीता सिंह
पिछले दिनों बिहार के साढ़े चार करोड़ लोगों ने मानव शृंखला बना कर दहेज और बाल विवाह के विरुद्ध प्रतिबद्धता जाहिर की। जिस तरह राज्य की राजधानी पटना से लेकर गांव-कस्बों में कतारों में खड़े करोड़ों लोगों ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का संकल्प व्यक्त किया वह यह रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है कि जनजागरण के जरिए सामाजिक बुराइयों को मिटाया जा सकता है। एक साल पहले...
More »अर्थव्यवस्था की आगे की राह-- अरविन्द कुमार सिंह
कृषि और विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्तवर्ष में विकास दर की रफ्तार साढ़े छह प्रतिशत पर थमने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जताया है जिसके मुताबिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने की गति अत्यंत धीमी है और साथ ही विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घट कर छह साल के न्यूनतम स्तर (4.6 प्रतिशत) पर आ गई है।...
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