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त्वरित सिंचाई ने लगाया पैबंद

नई दिल्ली [आशुतोष झा]। बिहार के विकास के मखमली दावों पर त्वरित सिंचाई कार्यक्रम ने टाट का पैबंद लगा दिया है। कई दूसरे क्षेत्रों में हो रहे विकास से सहमत केंद्र सरकार को राज्य में त्वरित सिंचाई की धीमी गति ने निराश कर दिया है। चार साल के लक्ष्य के साथ शुरू होने वाले कार्यक्रम दशकों से पूरे नहीं हो सके हैं। राज्य सरकार इस मद में उपलब्ध 1265 करोड़ रुपए के मुकाबले सिर्फ 165 करोड़...

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कृषि ज्ञान व आदान अभियान का आगाज

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : कृषि एवं पशुपालन मंत्री हरजीराम बुरड़क ने शनिवार को प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के असावता ग्राम में राज्य स्तरीय ''कृषि ज्ञान एवं आदान अभियान-2010'' का आगाज किया। बुरड़क प्रतापगढ़ पंचायत समिति के असावता स्थित नवक्रमोन्नत राजकीय माध्यमिक विद्यालय में ''कृषि ज्ञान एवं आदान अभियान'' का विधिवत् शुभारम्भ करने के पश्चात् आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ग्रामीणजनों को संबोधित करते हुए कहा कि...

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बस्तर के पिछड़ेपन के लिए नक्सल हिंसा जिम्मेदार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बस्तर के पिछड़ेपन के लिए नक्सलियों को जिम्मेदार ठहराया है तथा कहा है कि आदिवासियों के विकास में रुकावट डालने वालों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कल यहां ''भारत की अनुसूचित जनजातियां: कल, आज और कल'' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी के इस आधुनिक दौर में भी यदि के बस्तर संभाग के आदिवासी...

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सरदार सरोवर एवं इंदिरा सागर के पर्यावरणीय उपायों के शर्तों का घोर उल्लंघनः विशेषज्ञ समिति का अह??

भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा भारतीय वन सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डा. देवेन्द्र पांडेय की अध्यक्षता एवं 9 अन्य सदस्यों वाली नियुक्त की गई विशेषज्ञ समिति ने नर्मदा घाटी में अति विवादास्पद सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) और इंदिरा सागर परियोजना (आईएसपी) के सुरक्षा उपायों से संबंधित सर्वेक्षण, अध्ययन व योजनाओं एवं उनके कार्यान्वयन पर हाल ही में मंत्रालय को अपनी दूसरी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है। सूचना के...

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सरदार सरोवर का सबक

यह सच है कि सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है, जो 800 मीटर नदी में बनी अहम परियोजना है। सरकार कहती है कि वह इससे पर्याप्त पानी और बिजली मुहैया कराएगी। मगर सवाल है कि भारी समय और धन की बर्बादी के बाद वह अब तक कुल कितना पानी और कितनी बिजली पैदा कर सकी है और क्या जिन शर्तों के आधार पर बांध को मंजूरी दी गई थी वह शर्तें...

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