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कहीं विलुप्त ना हो जाए आदिवासी संस्कृति

नई दिल्ली। अरविंद जयतिलक संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट आफ द व‌र्ल्ड्स इंडीजीनस पीपुल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातिया पूरे विश्व में अपनी संपदा, संसाधन और जमीन से वंचित व विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के झारखंड राज्य की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यहा चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारों परिवारों को आज...

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अपना दिवस मनाया

शिमला.सीटू राज्य कमेटी के आह्वान पर शनिवार को पूरे प्रदेश में मजदूर दिवस मनाया गया। सीटू के अनुसार पांवटा साहिब, परमाणु, दाड़लाघाट, मंडी, कुल्लू, चंबा, ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, शिमला, रोहडू, रामपुर, किन्नौर आदि स्थानों पर मजदूरों ने भारी संख्या में पहुंच कर जनसभाएं और अपने हक में प्रदर्शन कर मजदूर दिवस मनाया। सीटू के राज्य अध्यक्ष जगत राम का कहना है कि देश की श्रम शक्ति का 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य करता...

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जंगल से कटकर सूख गये मालधारी- शिरीष खरे

एशियाई शेरों के सुरक्षित घर कहे जाने वाले गिर अभयारण्य में बरसों पहले मालधारियों का भी घर था. ‘माल’ यानी संपति यानी पशुधन और ‘धारी’ का मतलब ‘संभालने वाले’. इस तरह पशुओं को संभाल कर, पाल कर मालधारी अपनी आजीविका चलाते थे. एक दिन पता चला कि अब इस इलाके में केवल शेर रहेंगे. फिर धीरे-धीरे मालधारियों को उनकी जड़ों से उखाड़कर फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ. जंगल में मालधारी आज की...

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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन

भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...

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नदियां बन गयीं नाला कैसे रुकेगा पानी

रांची : कंकरीट का बढ़ता जंगल जीवन देनेवाले जलस्रोतों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्राकृतिक जल चक्र पूरा नहीं हो पा रहा है. बादल नहीं बन रहे हैं. नदियों का प्रवाह रुक गया है. अधिकतर नदियों ने बरसाती नालों का प ले लिया है. नदियों के किनारों पर कभी दिखाई देनेवाली हरियाली गायब हो गयी है. आलम यह है कि नदियों के आसपास के क्षेत्रों में भी भूमिगत जलस्रोत पाताल तक पहुंच गये हैं. कई...

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