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पीड़ितों को कमजोर करता कानून-- रुचिरा गुप्ता

मोदी सरकार ने एक और लिंगवादी कदम उठाते हुए लोकसभा से ट्रैफिकिंग ऑफ परसंस (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल, 2018 पारित करा लिया है, जो यौन शोषण हेतु मानव व्यापार (सेक्स ट्रैफिकिंग) के लाखों शिकारों को अपनी परिभाषा से बाहर रखते हुए मानवाधिकार के सिद्धांतों की अनदेखी तो करता ही है, भारत के अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्व का भी उल्लंघन करता है. अपने उद्देश्यों तथा औचित्य के बयान के अंतर्गत एक ओर...

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स्मार्टगांव एप के जरिये बदल रही गांव की सूरत

स्मार्टफोन के जरिये इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच गांवों तक लोगों को इसका फायदा पहुंचने लगा है. ग्रामीण इलाकों में भी इसकी भरपूर पैठ और यूजर्स की संख्या में सालाना 26 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या 45 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. स्टार्टअप्स और छोटे उद्यम ऐसे मोबाइल एप्स विकसित कर रहे हैं, जिससे गांव के लोगों की जिंदगी आसान हो रही है...

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लोक संसद की कल्पना-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

सफल लोकतंत्र के लिए समाज के हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा का होना जरूरी है. यदि व्यक्ति, परिवार, जाति समूहों और प्रकृति के साथ हमारा लोकतांत्रिक संबंध नहीं होगा, तो फिर राज्य और सरकार के स्तर पर भी इसका होना संभव नहीं है. बलात्कार, भीड़ द्वारा हत्या, धर्म के नाम पर हिंसा, घरेलू हिंसा आदि में यदि बढ़ोतरी हो रही हो, तो फिर हमें समझना चाहिए कि...

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5 में से 3 नवजातों को जन्म के समय नहीं मिल पाता मां का दूध

यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि करीब 7.8 करोड़ यानी पांच में से तीन नवजातों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नसीब नहीं हो पाता। इससे उनके बचने और शारीरिक व मानसिक विकास की संभावनाएं कम हो जाती हैं। विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) के पहले जारी रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से अधिकांश नवजातों का जन्म...

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जड़ों से कटा आधारहीन वर्ग--पवन के वर्मा

एक ब्लॉगिंग साइट को दिये एक इंटरव्यू में मैंने यह कहा कि लुटियन (नयी दिल्ली का अंग्रेजों द्वारा निर्मित हिस्सा) का उच्च वर्ग चतुर्दिक जल से घिरे द्वीपों की तरह जड़ एवं आधार से रहित है, जिसकी पहचान सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी ही है. इसके पक्ष और विपक्ष में बड़ी तादाद में टिप्पणियां आयीं. इसलिए मैंने यह महसूस किया कि मुझे अपनी बात का आशय कुछ और विस्तार से प्रकट...

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