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महात्मा के दो सिपाही : गोपालकृष्ण गांधी

समय सिकुड़ रहा है, तारीखें तंग होती चलती हैं। अक्टूबर को ही देखिए, त्योहारों-तिथियों से खचाखच है। उसकी दो तारीख न सिर्फ महात्माजी की जयंती है, लाल बहादुर शास्त्री की भी है। फिर अक्टूबर 2 को ही, 1975 में, कुमारस्वामी कामराज का आकस्मिक देहांत हुआ था। वह उस कर्मठ नेता की पुण्यतिथि भी बनती है। इतिहास में रुचि रखने वालों के दिलों में अक्टूबर 31 की एक अपनी पहचान है :...

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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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कृषि की कम होती भूमिका में खाद्य संकट- रवि शंकर

बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण व अन्य कारणों से घटती जमीन, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के कारण भारतीय कृषि भारी दबाव में है। यह सच है कि देश की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। देश की 52 प्रतिशत  श्रमशक्ति कृषि तथा इससे जुड़े क्षेत्रों से ही अपना जीविकोपार्जन कर रही है। फिर भी संकट का अंदाजा इस तथ्य से  लगाया जा सकता है कि राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में...

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इन्क्लूसिव मीडिया फैलोशिप (2011)--- परिणाम घोषित

विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के इन्क्लूसिव मीडिया फैलोशिप के लिए देश भर से आठ पत्रकार चयनित हुए हैं। इसमें एक फैलोशिप का प्रायोजन देश के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वाले स्वयंसेवी संगठन प्रथम के aser (एनुअल स्टेटस् ऑव एजुकेशन-रुरल) की तरफ से किया गया है।  इन्कलूसिव मीडिया प्रोजेक्ट के अन्तर्गत मीडिया-रिसर्च का भी काम होता है, साथ ही भारत के ग्रामीण संकट...

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जमीन से जुड़े जरूरी सवाल : हर्ष मंदर

स्वतंत्रता के इतने सालों के बाद भी लाखों देशवासी और उनके संघर्ष हमारी नजरों से ओझल हैं। भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण लाखों लोगों ने अनगिनत कष्ट सहे, लेकिन उनकी तकलीफों की कहानी कभी भी पूरी तरह सामने नहीं आई। ‘विकास’ की कीमत किसानों और खेतिहर श्रमिकों की अनेक पीढ़ियों को चुकानी पड़ी है। उन्हें बलपूर्वक अपनी धरती से बेदखल करने का अर्थ है अपने सबसे निर्धन अन्न उत्पादकों को सताना, ताकि...

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