आर्थिक सर्वे 2011-12 में आम आदमी और महंगाई को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलती दिख रही है। हालांकि सरकार सकारात्मक विकास और महंगाई को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत है। ऐसे में वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही के बाद महंगाई पर काफी हद तक कंट्रोल देखने को मिल सकता है। वहीं बाजार में नकदी भी भारी मात्रा में आने की संभावना है। दिलचस्प है कि सरकार ने 2013 में जीडीपी...
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सबक, स्वार्थ और संदेश-इर्शादुल हक
महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी बदलते बिहार पर वैश्विक सम्मेलन के समापन सत्र में अपना भाषण एक काल्पनिक चिट्ठी के रूप में पेश करते हैं. जयप्रकाश नारायण के नाम लिखे पत्र में वे कहते हैं, 'जयप्रकाश जी अगर आज आप होते तो खुश होते कि आपके दो शागिर्दों-लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने बिहार में कितना अच्छा काम किया है. लालू ने बिहार...
More »वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान
जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...
More »विकास का पैमाना क्या है- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 3 जनवरी, 2012: विदेशी निवेश भूमंडलीकरण की नीति का हिस्सा है। इसीलिए खुदरा व्यापार को विदेशी पूंजी के हाथों में देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्थगन परमाणु समझौते की तरह ही है। अमेरिका के साथ भारत के परमाणु समझौते की पूरी प्रक्रिया पर नजर दौड़ाएं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में कह दिया था कि सरकार के पास यही एकमात्र एजेंडा नहीं है। यूपीए-एक सरकार का...
More »रेहड़ी-पटरी वालों को न भूलें- भारत डोगरा
चारों तरफ से पड़े दबाव के कारण केंद्र सरकार ने रिटेल में एफडीआई का फैसला फिलहाल भले ही मुलतवी कर दिया है, लेकिन आज नहीं, तो कल वह इसे लागू करेगी ही। प्रासंगिक सवाल यह है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बुलाने वाली सरकार को आज रेहड़ी-पटरी वालों के प्रति अपनी जिम्मेदारी की याद भला कौन और कैसे दिलाए। पर सरकार को यह याद दिलाना जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के...
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