SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 547

ऐसे तो नहीं रुकेंगी किसानों की आत्महत्याएं -- के सी त्यागी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-2015 के दौरान आत्महत्या के मामलों में 42 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में 5,650 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 8,007 तक पहुंच गई। तस्वीर इतनी भयानक तब है, जब इस श्रेणी से कृषि मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या बाहर रखी गई है। वर्ष 2014 में कुल 6,710...

More »

ढाई साल का ऐतिहासिक सफरनामा-- एम वेंकैया नायडू

यूपीए के एक दशक के दागदार शासन के बाद हमने शुरुआत की थी, तब से लेकर आज दुनिया की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में एक गिने जाने तक, यानी एनडीए-दो के ढाई साल के शासनकाल में भारत की तरक्की की कहानी कई परिवर्तनकारी कदमों के सहारे आगे बढ़ी है। इन कदमों ने न सिर्फ देश की छवि दुनिया भर में निखारी, बल्कि देश के नागरिकों के जीवन-स्तर...

More »

आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्‍ााल पांडे

दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...

More »

डिजिटल भुगतान की समस्याएं-- विभाष

बड़े नोटों के विमुद्रीकरण के पश्चात और नये नोटों की आपूर्ति में आ रही समस्याओं के कारण डिजिटल भुगतान में एकाएक बढ़ोतरी हुई है. डिजिटल भुगतान को कानूनी जामा पहनाने तथा इसे सुगम और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से संसद द्वारा पेमेंट एंड सेटलमेंट एक्ट-2007 पारित किया गया है. इस अधिनियम में प्रदत्त अधिकारों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर बैंकों और अन्य रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए दिशानिर्देश जारी...

More »

'क्या नोटबंदी ने एक नए भ्रष्टाचार को जन्म दिया?'--- क़मर वहीद नक़वी

नोटबंदी में देश क़तारबंद है. आज एक महीना हो गया. बैंकों और एटीएम के सामने क़तारें बदस्तूर हैं. जहाँ लाइन न दिखे, समझ लीजिए कि वहाँ नक़दी नहीं है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बस पचास दिन की तकलीफ़ है. तीस दिन तो निकल गए. बीस दिन बाद क्या हालात पहले की तरह सामान्य हो जायेंगे? क्या लाइनें ख़त्म हो जाएंगी? और क्या 30 दिसंबर के बाद जवाब मिल जाएगा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close