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कोटा के कोचिंग संस्थान बन गए हैं सुसाइड हब : हाई कोर्ट

नई दुनिया ब्यूरो, जयपुर। कोटा के कोचिंग संस्थानों में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर राजस्थान हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दो सप्ताह का वक्त देकर पूछा है कि राज्य सरकार इस हालत को सुधारने के लिए क्या कर रही है। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अजित सिंह और जस्टिस एएस ग्रेवाल ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा...

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इस धुंध को चीरना होगा- शशिशेखर

दिल्ली और उसके आसपास का इलाका इन दिनों प्रदूषण की अभूतपूर्व मार से ग्रस्त है। जिधर नजर डालिए, उधर धुंध की मटमैली चादर तले खांसते, कांपते और कांखते लोग मिल जाएंगे।   अपना एक निजी अनुभव आपसे शेयर करता हूं।  दीपावली को दोपहर के बाद से मैं जब भी अपने घर का दरवाजा खोलता, तो बेचैन हो उठता। सामने वाले फ्लैट में एक प्यारा शिशु रहता है। अभी उसे अपना पहला जन्मदिन मनाना...

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कोलेजियम प्रणाली में सुधार पर फैसला बुधवार को

नई दिल्ली। कोलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता लाने पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला बुधवार को सुना सकती है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की नियुक्ति के लिए 1993 में न्यायधीशों की कोलेजियम प्रणाली का गठन किया गया था। हाल ही में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को खारिज कर दिया और 99वें संविधान संशोधन को निरस्त कर दिया। इस फैसले...

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न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता महत्वपूर्ण : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर ‘प्रक्रिया का ज्ञापन' केंद्र और प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से तैयार किया जाये. उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और यह एमओपी में परिलक्षित होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दिशा निर्देश के रूप में एमओपी में साफ तौर पर न्यूनतम आयु इत्यादि...

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जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क

कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...

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