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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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नीतीश की 'सेवा यात्रा' तो लालू की 'गांव-गांव यात्रा'

बिहार से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवणी की 'जन चेतना यात्रा' के बाद अन्य राजनेताओं की भी यात्राओं का दौर प्रारम्भ हो गया है। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नौ नवंबर से 'सेवा यात्रा' पर निकलने वाले हैं तो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 'गांव-गांव यात्रा' करने की घोषणा कर दी है। राजद की 'गांव-गांव यात्रा' गया जिले से प्रारम्भ होने वाली है...

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अपनी त्रासदियों से आजादी के इंतजार में आदिवासी : रामचंद्र गुहा

एक साल पहले तकरीबन इन्हीं दिनों में राहुल गांधी ने ओडिशा में कुछ आदिवासियों से कहा था कि वे दिल्ली में उनकी लड़ाई लड़ेंगे। नियमगिरि के डोंगरिया कोंड आदिवासी बिसार दिए गए और अब राहुल का फोकस यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नोएडा के जाट किसानों व अन्य समूहों की ओर हो गया है। राहुल गांधी का यह व्यवहार समूचे राजनीतिक वर्ग के चरित्र को प्रदर्शित करता...

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गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान

  ‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख    सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....

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