सारी पार्टियां गजेंद्र सिंह की खुदकुशी पर गमगीन दिखने की होड़ में शामिल हैं। अगर उनके आंसू सच्चे हैं तो वे बाकी किसानों की सुध क्यों नहीं ले रही हैं? महाराष्ट्र में सिर्फ चार महीनों में सैकड़ों किसानों ने अपनी जान ले ली। गजेंद्र सिंह राजस्थान का था। मगर राज्य के किसानों पर छाए संकट का वह अकेला उदाहरण नहीं था। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में हाल में तीस से...
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भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित होने पर 30 करोड भूमिहीनों को मिलेगा रोजगार: जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद औद्योगिक गलियारों में करीब 30 करोड भूमिहीन लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा ‘‘मैं गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछडों का विशेष तौर पर उल्लेख करना चाहता हूं जो भूमिहीन हैं. हम जो भूमि अधिग्रहण विधेयक ला रहे हैं उसके मुताबिक देश में औद्योगिक गलियारे स्थापित किए जाएंगे और जो पिछडे हैं.....
More »एक अप्रैल से लगेगा महंगाई का झटका, राहत कम लेकिन जेब पर बोझ ज्यादा
नई दिल्ली। फरवरी में पेश किए बजट का असर आप पर एक अप्रैल से होने जा रहा है। इसके तहत जहां आपके लिए कई सेवाएं महंगी हो जाएंगी, वहीं कुछ सेवाएं सस्ती भी होंगी। इसके अलावा अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष से आपको टैक्स सेविंग के भी नए विकल्प मिलेंगे। अाइए जानते हैं वित्त वर्ष 2015-16 आपकी जेब पर किस तरह से असर डालेगा। रेस्टोरेंट में खाने से...
More »खनन की नैतिकता और भावी पीढ़ियों के लिए एक साझा कोष बनाने का सवाल
गोवा फाऊंडेशन और इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज के सहयोग से सीएसडीएस का पब्लिक्स एंड पॉलिसिज् प्रोग्राम खनन और जीविका से संबंधित एक विचार-विमर्श “ परमानेंट फंड मॉडेल फॉर ईथीकल माइनिंग: लैंड, लाइवलीहुड एंड इन्टरजेनरेशनल इक्विटी” शीर्षक से आयोजित कर रहा है। यह विचार-विमर्श भू-संपदा पर भावी पीढियों के हक के मसले के इर्द-गिर्द होगा। विचार-विमर्श की शुरुआत 18 फरवरी के दिन इंडिया इन्टरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में एक दिन के...
More »फिर से भारत उदय- सुनील भारती मित्तल
भारत में उम्मीद की एक ताजा हवा बह रही है। नई सरकार, जिसे देश ने निर्णायक जनादेश दिया, तेजी से देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पिछले बारह महीनों में घटनाक्रम में जो बदलाव आया है, उसने राष्ट्रीय मानस का निर्माण किया है। जो वैश्विक निवेशक पहले भारत के बारे में सवाल उठा रहे थे, वे अब देश में विकास संभावनाओं में सुधार की बातें कर रहे...
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