एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...
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वायु प्रदूषण को रोकने के लिए फसल चक्र बदलने की जरूरत
हाल के समय में उत्तर भारत और विशेषकर दिल्ली एनसीआर वायु प्रदूषण की चपेट में है। अक्टूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्टों में इसका बड़ा कारण पराली ( धान फसल के ठंडल) जलाना बताया गया है, और इससे दिल्ली और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-India) की वेबसाइट...
More »ट्रैक्टरों की खरीद में कमी से जानिये बढ़ते ग्रामीण-संकट का हाल, इस न्यूज एलर्ट में
ट्रैक्टरों की खरीदारी का देश की अर्थव्यवस्था में आ रहे उतार-चढ़ाव से क्या रिश्ता हो सकता है ? अगर इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको जेहन पर ज्यादा जोर देना पड़ रहा हो तो इस न्यूज एलर्ट को ध्यान से पढ़िए और सोचिए कि ट्रैक्टरों की खरीदारी के जिस आंकड़े के सहारे अर्थशास्त्रियों का एक समूह देश की अर्थव्यवस्था की खुशहाली के निष्कर्ष निकाल रहा है, उन्हीं आंकड़ों...
More »क्या सचमुच सरकार ने किसानों को फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य दिया है?
आर्थिक मामलों की काबीना समिति की हाल की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक साल 2019-20 में बिक्री के लिए तैयार खरीफ की तमाम फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत से कम से कम 50 फीसद ज्यादा घोषित किया गया है. नये बजट के पेश होने के दो दिन पहले जारी इस आधिकारिक घोषणा से ऐसा जान पड़ता है मानो केंद्र की नयी सरकार ने अपना वादा निभाया है और किसानों को उनकी फसल...
More »नरेगा के बजट मे कटौती और आधार लिंकित भुगतान कामगारों के हक का उल्लंघन: नरेगा संघर्ष मोर्चा
नयी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए चालू वित्तवर्ष में मात्र 60,000 रुपये आबंटित किये हैं. यह रकम साल 2018-19 के संशोधित बजट अनुमान (नरेगा) की तुलना में 1,084 करोड़ रुपये कम है. पिछले साल जिस तादाद में रोजगार गारंटी योजना के तहत काम की मांग की गई, अगर सरकार उन्हें पूरा करती और मजदूरी का भुगतान श्रमिकों को समय पर होता तो नरेगा के मद में...
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