सहारिया जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में पायी जाती है. मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान के बारां जिले के शाहबाद और किशनगढ़ प्रखंड में भी इनकी ठीकठाक संख्या है. यहां सहारिया लोगों के पास किसी जमाने में काफ़ी जमीन हुआ करती थी. लेकिन कोई दस्तावेज नहीं होने के कारण धीरे- धीरे इनकी जमीनों पर गैर ओदवासियों और दबंगों ने कब्जा कर लिया. सरकार ने सहारिया को आदिम जनजाति का दरजा दिया...
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खेत के साथ आंख भी नम, जमीन होते हुए भी रोटी के लिए मोहताज
सेम की समस्या सिर्फ चुनावों के समय ही म़ुद्दा बनती है। बाद में इनसे प्रभावित लोगों को कोई नहीं पूछता। सेम से सीएम प्रकाश सिंह बादल का गृह जिला मुक्तसर सबसे ज्यादा प्रभावित है। फरीदकोट और फिरोजपुर जिलों के कुछ गांव भी चपेट में हैं। कुछ साल पहले तक जमींदार कहलाए जाने वाले किसान आज जमीन होते हुए भी रोटी के लिए मोहताज हैं। मुक्तसर जिले के तहत थेहड़ी गांव निवासी परमजीत...
More »अमीरी रेखा की जरूरत- सुनील
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2011 : कुछ माह पहले जब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि शहरों में बत्तीस रु. और गांवों में छब्बीस रु. प्रतिदिन खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा, तो देश के संभ्रांत पढ़े-लिखे लोगों में और मीडिया में खलबली मच गई। अहलूवालिया से लेकर जयराम रमेश तक को सफाई में बयान देने पडे। उन्होंने यह...
More »किसानों के कब्जे से आवाजाही ठप, ब्यास पुल पर दूसरे दिन भी डटे रहे
अमृतसर/ब्यास. ब्यास पुल पर किसानों के धरने के कारण पैदा हुई जाम की स्थिति से आमजन खासा परेशान है। जाम के कारण अमृतसर सड़क मार्ग से पूरी तरह कट गया है। 70 प्रतिशत बसें अपने मुकाम पर नहीं पहुंच सकीं। बसों व निजी वाहनों से अमृतसर से जालंधर के रास्ते होकर दिल्ली या चंडीगढ़ जाने वालों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। कुछ यात्री तो बीच रास्ते ही बसों में उतर...
More »महंगाई के पीछे गलत नीतियां- सी पी राय
समूचा देश आज महंगाई की समस्या से परेशान है। लेकिन सारी महंगाई अंतरराष्ट्रीय कारणों से नहीं है, जैसा कि सरकारी पक्ष बताता आ रहा है। साफ है कि 120 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाला यह देश सेंसेक्स और कुछेक लोगों को समृद्ध करने वाली नीतियों से नहीं चल सकता। कुछ तो है, जिसे हमारे तथाकथित अर्थशास्त्री नहीं समझ पा रहे हैं या नहीं समझने का नाटक कर रहे हैं या...
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