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यह कैसी शिक्षा व्यवस्था?-- अनुपम त्रिवेदी

पिछले दिनों जब एक न्यूज चैनल ने बिहार-बोर्ड के टाॅपर्स का साक्षात्कार किया, तो न केवल उन टाॅपर्स की, बल्कि पूरी शिक्षा-व्यवस्था की पोल-पट्टी खुल गयी. समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया तक बिहार के शिक्षा-तंत्र की बखिया उधेड़ दी गयी. राजनीतिक दलों ने भी इस मौके को खूब भुनाया. लेकिन, सब यह भूल गये कि बिहार का यह नंगा सच केवल बिहार का ही नहीं, बल्कि लगभग पूरे देश...

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सरकारी अस्पतालों में गुम होकर रह गया है दर्द का रिश्ता - डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला

शिक्षा और स्वास्थ्य, ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद स्थिति सुधरती नजर नहीं आती। सुधरेगी भी कैसे, जबकि शासकीय व्यवस्था का वही लापरवाह ढर्रा कायम हो और कर्मचारियों में अपने कर्तव्य का पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन का कोई भाव नजर न आता हो। प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल एमवाय में घोर लापरवाही की वजह से दो दिन में दो मासूम जिंदगियों के मौत...

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बुनियादी सुधार तेजी से आगे बढ़ाने में राजनीतिक अड़चनें: रघुराम राजन

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में बुनियादी सुधारों की रफ्तार को तेज करना राजनीतिक दृष्टि से मुश्किल काम है। लेकिन गवर्नर ने बैंकों के बहीखाते साफ-सुथरा करने और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने पर जोर दिया जिससे तेज वृद्धि हासिल की जा सके। राजन ने कहा कि श्रम बाजार सुधारों से वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया को विरोध का सामना...

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काला या गोरा, धन तो आया-- अनिल रघुराज

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. इसी तरह अपने यहां केंद्र सरकार की असली चाल-ढाल पहले दो-ढाई साल में ही दिख जाती है. बाद का आधा कार्यकाल तो अगले चुनावों का माहौल बनाने में चला जाता है. नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तो यह भी दिक्कत है कि कार्यकाल के तीसरे साल में उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव होने...

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किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं

लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...

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