राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पुणे, लखनऊ और चंडीगढ़ जैसे कई बड़े शहर इन दिनों चिकनगुनिया, डेंगू और तमाम तरह की बरसाती पानी के जलभराव से उपजी महामारियों के शिकार हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में तिल धरने की जगह नहीं, घर-घर लोग तड़प रहे हैं और तमाम उपलब्ध सरकारी-गैरसरकारी अस्पताल नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकतर बीमार शहरी मलिन बस्तियों के वे गरीब हैं, जो हर तरह की नागर सुविधा...
More »SEARCH RESULT
स्वच्छता, समाज और सरकार-- सुभाष गताडे
एक सौ पांच साल की कुंवर बाई, जिन्होंने अपनी बकरियां बेच कर शौचालय का निर्माण कराया, ‘स्वच्छता दिवस' के अवसर पर दिल्ली में सम्मानित की जाएंगी। खबरों के मुताबिक कुंवर बाई ने कोटाभररी नामक अपने गांव (जिला राजनांदगांव) में स्त्रियों को खुले में शौच जाने की असुविधा से बचाने के लिए यह निर्माण कराया। बेशक कुंवर बाई का सरोकार व त्याग काबिले-तारीफ है और उनको स्वच्छता दूत नियुक्त किया जाना,...
More »क्यों डराता है डेंगू-- रोहित कौशिक
पिछले दिनों दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों को राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू पर नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डेंगू ने एक बार फिर अपने पैर पसार लिए हैं। कुल मिलाकर, देश में सैकड़ों लोग डेंगू की चपेट में हैं और अनेक काल के गाल में समा चुके हैं। हालांकि इस भयावह त्रासदी के बाद...
More »कूड़े से मुक्ति का रास्ता खोज रही दुनिया-- महेंन्द्र राजा जैन
पिछले वर्ष मैं पूर्वी यूरोप के क्रोएशिया और स्लोवानिया में दो सप्ताह की यात्रा पर गया था। वहां जहां-जहां यानी जिन शहरों में गया, सड़कों पर सफाई देखकर दंग रह गया। इसके मुकाबले यहां ब्रिटेन में गंदगी की समस्या बहुत गंभीर और अनियंत्रित है। इससे अक्सर लगता है कि लंदन शायद अब दुनिया भर में न सही, मगर यूरोप में सबसे अधिक गंदा शहर है। पिछले काफी समय से यहां...
More »मलेरिया मुक्त हुआ श्रीलंका, भारत के लिए अभी सपना
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने श्रीलंका को मलेरिया-मुक्त देश घोषित कर दिया है. मालदीव के बाद दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में श्रीलंका दूसरा ऐसा देश बन गया है. कुछ दशक पहले तक श्रीलंका की गिनती सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित देशों में होती थी, लेकिन 1990 के दशक के आखिरी दौर में इससे समग्रता से निबटने के लिए मलेरिया-रोधी अभियान शुरू किया गया. नतीजतन वर्ष 1999 में जहां इसके 2,64,549 मामले पाये गये,...
More »