-रूरल वॉइस, डीएपी की कीमतों में भारी बढ़ोती के कारण पैदा हुए राजनीतिक दबाव और किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी में 14 हजार रुपये प्रति टन की भारी बढ़ोतरी का फैसला लिया। इसके तहत डीएपी पर मिलने वाली सब्सिडी 24,231 रुपये प्रति टन हो गई है। किसानों को...
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बिहार के गांवों में कोरोना का कहर: क्या बंद स्वास्थ्य केंद्रों को खोलने से सुधरेंगे हालात?
-डाउन टू अर्थ, कुछ माह पहले बिहार में 1451 ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र बंद कर दिये गये थे, अब उन्हें खोला जा रहा है। मंगलवार, 18 मई को खुद राज्य के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जब राज्य में कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो इन 1451 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर इनके चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ...
More »स्वास्थ्य मंत्रालय जनहित में कोरोना संबंधी जानकारी स्वत: सार्वजनिक करे: सीआईसी
-द वायर, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने अपने एक आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय जनहित को ध्यान में रखते हुए कोरोना संबंधी सभी जरूरी जानकारियां खुद ही सार्वजनिक करे. सीआईसी ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को मूलभूत जानकारियों के लिए सूचना का अधिकार (आवेदन) दायर नहीं करना होगा. मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने मंत्रालय द्वारा कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित जानकारियां छिपाने को लेकर दायर शिकायतों पर सुनवाई...
More »'पक्ष'कारिता: आज मर रहे पत्रकारों को बचाइए, उम्मीद बची तो कल पत्रकारिता भी बच जाएगी
-न्यूजलॉन्ड्री, कोविड-19 के कसते शिकंजे के आलोक में हिंदी के ज्यादातर अखबारों के अचानक बदले चरित्र और जनपक्षधर रिपोर्टिंग पर पिछले अंक में एक सरसरी तौर पर इशारा था, हालांकि वह स्तम्भ बंगाल चुनाव पर केंद्रित था. अखबारों का आलोचनात्मक रुझान अब भी कायम है, बल्कि और तीखा हुआ है. अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे शहरों के अखबारी संस्करणों और छोटे प्रकाशनों (मुद्रित और ऑनलाइन) में जनता के दुख-दर्द की...
More »दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?
इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...
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