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हाथरस मामले में अब जो हो रहा है वह भी किसी दुष्कर्म से कम नहीं है

-सत्याग्रह, बलात्कार जैसी घटना पर पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया उस समाज से अलग नहीं होती जिसे वह प्रशासित करता है. और ऐसे मामलों में किसी समाज की प्रतिक्रिया को समझने के लिए यह देखना ज़रूरी है कि वह अपनी बेटियों के साथ किस तरह का व्यवहार करता है. हाथरस मेरा अपना गृह ज़िला है. अपने दो दशकों के निजी अनुभव से मैं कह सकती हूं कि इस क्षेत्र में लड़की...

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गुजरात मॉडल को भूल जाइए, भविष्य यूपी मॉडल का है

-द वायर, मानो उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित किशोरी के साथ बलात्कार और प्रताड़ना कम डरावनी थी, पुलिस ने शव को घर ले जाने देने की अपील को खारिज करते हुए रातोंरात सबसे छिपकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. बलात्कार का आरोप ठाकुर जाति के चार पुरुषों पर है. यह पूरा वाकया अगड़ी जाति के अहंकार और पुलिस की हृदयहीनता को दिखाता है. भारत में पुलिस दुर्भावना से भरी हुई और...

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नोबेल पुरस्कार 2020: हेपटाइटिस सी वायरस की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को मिला मेडिसिन अवार्ड

-डाउन टू अर्थ, मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 2020 की घोषणा 5 अक्टूबर को की गई। यह पुरस्कार हार्वे अल्टर, माइकल हॉफटन और चार्ल्स राइस को दिया गया। हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए यह पुरस्कार तीनों वैज्ञानिकों को दिया गया। अल्‍टर अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑप हेल्थ से जुड़े हैं, जबकि राइस रॉकफिलर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर दी स्टडी ऑफ हेपेटाइटिस सी के कार्यकारी निदेशक हैं। वहीं माइकल हॉफटन ब्रिटेन...

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अर्थात‍ः राहत ऐसी होती है !

-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सि‍तंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रि‍टेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई.  बहुत नुक्सान...

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बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस लिब्रहान को जो दिखा वो सीबीआई कोर्ट न देख पाई?

-बीबीसी, छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कुछ अराजक तत्वों के अचानक हमले का नतीजा था या सुनियोजित और संगठित प्रयास का परिणाम? इतिहास में यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा. वेदों में कहा गया है कि सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ होता है. सत्य की खोज श्रमसाध्य और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. सत्य अलग-अलग कोण से अलग दिखता है और देखने वाले की नज़र से...

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