गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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सिर्फ पढ़ा देना शिक्षक का काम नहीं- प्रो. यशपाल
बात जब पहले और अब की शिक्षा और शिक्षक में तुलना की आती है, तो उसे अच्छे-बुरे में नहीं आंका जा सकता. आज के शिक्षक भी अच्छे हैं, अपना काम कर रहे हैं. हालांकि सभी को अच्छा या खराब कहना सही नहीं होगा. पहले के शिक्षक भी कुछ बहुत अच्छे होते थे, तो कुछ नहीं. यह जरूर था कि पहले के शिक्षकों के पास विद्यार्थियों को पीटने का अधिकार हुआ करता...
More »यौन हिंसा की जड़ें- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 4 सितंबर, 2013 : कुछ दिन पहले जब मैंने मुंबई में एक तेईस वर्षीय फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पढ़ा, तो कुछ पुरानी घटनाएं सामने घूमने लगीं। यानी फिर से वही सब! करीब उनतीस साल की उम्र में छह दिसंबर, 1992 को जब मैं एक रिपोर्टर की हैसियत से उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना की खबर जुटा रही थी तो मुझ...
More »बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर
कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...
More »आपला मानूस बाकी सब मनहूस- रविदत्त वाजपेयी
खाड़ी देशों में तेल के अकूत भंडार की खोज और सारे विश्व में इस तेल की असीमित मांग के बाद से अरब देशों के आर्थिक स्वरूप में विस्मयकारी परिवर्तन हुआ. साथ ही इन देशों में काम इतना बढ़ा कि सारी दुनिया से लोगों को यहां रोजगार मिलने लगा. खाड़ी के सबसे बड़े देश सऊदी अरब में भी शुरुआती दिनों में तेल खनन व शोधन के लिए विदेशी विशेषज्ञों और अमीरी बढ़ने...
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