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कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर

अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...

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लोकसभा चुनावों को देख दंग हैं कई देशों के प्रतिनिधि

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले भारत में 16 वीं लोकसभा के गठन के लिए चल रहे चुनावों को नजदीक से देखने-परखने और सीखने-सराहने की गरज से कई देशों के प्रतिनिधि विभिन्न राज्यों के मतदान केद्रों और चुनाव-दफ्तर का दौरा कर रहे हैं। लीसेथो, नाइजीरिया, मलेशिया, नेपाल और नामीबिया जैसे देशों के इन प्रतिनिधियों का यह दौरा यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम के साऊथ-साऊथ कोऑपरेशन कार्यक्रम के तहत हुआ है।....

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खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह

चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...

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धान और कॉटन की MSP में 50 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी

एग्रिकल्चर मिनिस्ट्री ने धान की मिनिमम सेलिंग प्राइस (एमएसपी) में 50 रुपए की बढ़ोत्तरी कर दी है, जिसके बाद अब इसकी कीमत कॉमन वैराएटी के लिए 1360 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगी और ग्रेड ए वैराएटी के धान की एमएसपी में 55 रुपए की बढ़ोत्तरी कर दी गई है, जिसके बाद इसकी कीमत 2014-15 के लिए 1400 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगी। मिनिस्ट्री ने कॉटन की एमएसपी में भी 50...

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समाजवाद की संभावना थे सुनील- अरुण कुमार त्रिपाठी

सुनील भाई से जब भी मिला, जहां भी मिला उन्हें एक जैसा ही पाया. वे रंग बदलनेवाले और रंग दिखानेवाले समाजवादी नहीं थे. उन्हें देख कर और याद कर मुक्तिबोध की बौद्धिकों पर व्यंग्य में की कही गयी कविता की पंक्तियां पलट कर कहने का मन करता है.  मुक्तिबोध ने आज के बुद्धिजीवियों के लिए कहा था- ‘उदरंभरि अनात्म बन गये, भूतों की शादी में कनात से तन गये, लिया बहुत...

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