वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...
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ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी
निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...
More »आरक्षण का आधार- संपादकीय(जनसत्ता)
सर्वोच्च न्यायालय ने जाट समुदाय को केंद्रीय सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण की अधिसूचना रद्द कर दी। न्यायालय का यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है, जो सियासी गरज से आरक्षण की नई-नई मांगों को हवा देते रहते हैं। इस क्रम में वे कई बार यह देखना भी गवारा नहीं करते कि कोई समुदाय आरक्षण का हकदार है या नहीं। जाटों...
More »दिल्लीवालों की 80 फीसदी कमाई स्कूल और घर पर खर्च
कभी शॉपिंग और ब्यूटी पॉर्लर में अपनी कमाई का मोटा हिस्सा खर्च करने वाली कामकाजी महिलाएं अब अपनी सैलरी का 80 फीसदी हिस्सा बच्चों की फीस और अन्य जरूरी मदों में खर्च कर रही हैं। इसका खुलासा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा पहली बार दिल्ली की कामकाजी महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में हुआ है। सर्वे में ऐसी महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता व उनके खर्च समेत इलाज और...
More »दिल्ली में हो सकती है एक नये किस्म के बजट की शुरुआत..
दिल्ली की नव-निर्वाचित आम आदमी पार्टी की सरकार ने वित्त-वर्ष 2015-16 के लिए नागरिक केंद्रित एक ऐसा बजट बना सकती है जिसे मोहल्ला स्तर पर लागू किया जा सकेगा। ब्राजील के शहर पोर्तो अलेगे में नगरपालिका स्तर पर संचालित भागीदारी आधारित बजटिंग की सफलता से प्रेरणा लेते हुए दिल्ली की नई सरकार ने कुछेक निर्वाचन क्षेत्रों में इसे प्रायोगिक आधार पर लागू करने की बात कही है। गौरतलब है कि 2015...
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