इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक फसल उपजा...
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न्याय के प्रप्रतिनिधियों को न्याय नहीं
गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...
More »भुखमरी के जनतंत्र में खाद्य-सुरक्षा- अश्विनी कुमार
खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने पर महीनों की दुविधा के बाद यूपीए सरकार ने आखिर अध्यादेश का रास्ता चुना. कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने इसे लाइफ सेवर (जीवन रक्षक) व लाइफ चेंजर (जीवन बदलनेवाला) करार दिया, जबकि विपक्षी पार्टियों और नीतिगत विश्लेषकों ने इसे लागू करने के तरीके पर आपत्ति जाहिर की. यह ऐतिहासिक फैसला देश के करीब 67 फीसदी लोगों को सस्ते अनाज पाने का कानूनी हक मुहैया करायेगा. इस...
More »कैदी नेता नहीं लड़ पायेंगे कोई चुनाव- सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। जेल में बंद विचाराधीन नेताओं के चुनाव लड़ने का चलन खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई व्यक्ति जो जेल में या पुलिस हिरासत में है, वह विधायी निकायों का चुनाव नहीं लड़ सकता। आपराधिक तत्त्वों को संसद या विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकने वाले एक अन्य अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ निर्वाचक ही चुनाव लड़ सकता है और जेल...
More »उच्चतम् न्यायालय के फैसले की समीक्षा हो सकती है- कानूनी विशेषज्ञ
नयी दिल्ली। कानूनी विशेषज्ञों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना की आज प्रशंसा की जिसमें जेल में बंद लोगों को चुनाव लड़ने से रोका गया है लेकिन कहा कि इसे समीक्षा के लिए लाया जा सकता है क्योंकि कई मुद्दों को स्पष्ट करने की जरूरत है जिसमें चुनावों से पहले अपने प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए नेताओं द्वारा इसका दुरूपयोग करना भी शामिल है । विशेषज्ञों का मानना है...
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