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खतरे का खाद्य

खाने-पीने की चीजों को लेकर होने वाले अध्ययन अमूमन अब तक डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, पित्जा-बर्गर जैसे दूसरे फास्ट फूड या फिर ठंडे पेय पर केंद्रित रहे हैं। अब सीएसई यानी दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र के ताजा अध्ययन ने जिस तरह ब्रेड में कैंसर जैसी घातक बीमारी के तत्त्व पाए जाने का खुलासा किया है, वह ज्यादा बड़ी चिंता की वजह है। दूसरे डिब्बाबंद खाद्य के मुकाबले...

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मोदी सरकार के 2 साल: मुद्रास्फीति पर अंकुश के बावजूद दालों व चीनी के दामों में उछाल

मोदी सरकार के पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान थोक व खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद खाद्य पदार्थों खासकर दाल और चीनी जैसे कई जिंसों के भावों में उछाल आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों के दामों में गिरावट के साथ-साथ सरकार के राजकोषीय अनुशासन और रिजर्व बैंक की कठोर नीति के कारण मुद्रास्फीति काबू में है। लेकिन दो साल से कम बारिश के...

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आयकर का दायरा बढ़ाना ही होगा-- मधुरेन्द्र सिन्हा

बीती सदी के नब्बे के दशक में जब नरसिंह राव और उनके सुयोग्य मंत्री मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, तब समृद्धि का एक दौर आया। उसके साथ ही करोड़पतियों की कतार बढ़ती गई। लंबी-लंबी कारें, बड़े-बड़े अपार्टमेंट और गहनों के चमकते शोरूम आम हो गए। देश में बढ़ते अरबपतियों की तादाद की खबरें दुनिया भर में सुनाई पड़ने लगीं। इन सब के बावजूद आयकर देने...

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नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन की जांच करेगी एसआईटी

भोपाल (नप्र)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन की जांच के लिए पांच सदस्यीय एसआईटी गठित की है। इसमें नरसिंहपुर कलेक्टर, एसपी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर, डीएफओ और जिला खनिज अधिकारी को सदस्य बनाया गया है। इसी के साथ एनजीटी ने नरसिंहपुर जिले में नर्मदा के घाटों पर रेत खनन की स्थिति पर एसआईटी से 10 दिन में रिपोर्ट भी मांगी है।   यह फैसला...

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बैंकरप्सी बिल : द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड लोकसभा में पारित

किसी कारोबारी द्वारा बैंकों का कर्ज चुकता न किये जाने से न सिर्फ बैंकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के नुकसान की भरपाई अंततः सरकारी खजाने से करनी पड़ती है. यह खजाना देश की सामूहिक आय, नागरिकों द्वारा दिये गये कर और बचत की राशि से बनता है.  इसका मतलब यह है कि...

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