नई दिल्ली। सूखा या बारिश की कमी के चलते हर साल फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया के बड़े हिस्से में गंभीर हो चुकी यह समस्या अब इनसान के अस्तित्व को चुनौती दे रही है। बहरहाल, वैज्ञानिकों की मानें तो रेन पावडर इसका कारगर हल हो सकता है। करीब दो साल से मैक्सिको समेत विभिन्न देशों में इस पर प्रयोग हुए हैं, जो सफल बताए गए हैं।...
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दरों में कटौती अच्छी बारिश से दालों के भाव घटने पर निर्भर
नई दिल्ली। अच्छी बारिश से यदि दालों के भाव घटते हैं तो रिजर्व बैंक 9 अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा के तहत दरों में 0.25 फीसदी कटौती कर सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। इस बार रबी सीजन में कमजोर फसल की वजह से दालों की महंगाई दर 27 प्रतिशत तक पहुंच गई है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने एक रिसर्च नोट...
More »बिछड़े सब बारी-बारी, खेती-बारी-- अनिल रघुराज
आखिर कोई कितना इंतजार करता! देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन कृषि नहीं.' मगर, आजादी से लेकर कृषि को इंतजार करते-करते अब सात दशक होने जा रहे हैं. वह अब भी भगवान भरोसे है. इंद्रदेव नाराज, तो सूखे की त्रासदी और खुश तो बहुत बड़े इलाके में बाढ़ की तबाही. जिनके बरदाश्त करने की हद चुक जाती है, वे इस...
More »जरूरी है जूट को सरकारी संरक्षण-- पंकज चतुर्वेदी
सीएसीपी यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ताजा सिफारिशें जूट के किसानों के लिए आफत बन सकती हैं। आयोग का कहना है कि चीनी मिलों में शत-प्रतिशत जूट के बोरे के इस्तेमाल की मौजूदा नीति को बंद कर दिया जाए तथा खाद्य पदार्थों में नब्बे फीसद जूट की अनिवार्यता को पचहत्तर फीसद किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो बंगाल का जूट किसान भूखों मर जाएगा। यही नहीं, जूट कारखानों व...
More »महंगाई का नया दौर--- धर्मेन्द्रपाल सिंह
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने घोषणा कर दी कि चार सितंबर के बाद वे अपना पद छोड़ देंगे। उनके एलान से विदेशी निवेशक चिंतित हैं, उद्योग जगत में निराशा है और शेयर बाजार में घबराहट। राजन का कार्यकाल न बढ़े, इसके लिए कुछ लोगों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। देश का केंद्रीय बैंक (आरबीआइ) ही मौद्रिक नीति निर्धारित करता है और फिर उसके माध्यम से...
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