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मोटे पैकेज पर आईआईटी, केंद्रीय विवि में विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू-- मदन जैड़ा

केंद्र सरकार ने आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत तमाम केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में विदेशी प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की दी है। इन प्रोफेसरों को महीने में 20 घंटे बढ़ाने के करीब साढ़े सात लाख रुपये मिलेंगे जो भारतीय प्रोफेसरों के वेतन से तीन गुना ज्यादा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि इस साल ऐसे एक हजार विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति का लक्ष्य है लेकिन अभी विभिन्न संस्थानों के लिए...

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मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई नीति खत्म करने पर विचार

नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारामण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति खत्म करने पर विचार करेगी। सीतारामण के मुताबिक विदेशी कंपनियों की तरफ से देश में सुपर बाजार खोलने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाएगा। सीतारामण ने बताया, 'मंत्रिमंडल के पास जाकर पूछना होगा कि क्या दस्तावेज को खत्म करना चाहिए। मल्टी...

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विश्व की 2000 शक्तिशाली कंपनियों में से 56 भारत में: फोर्ब्स

विश्व की 200 सबसे बड़ी और शक्तिशाली सूचीबद्ध कंपनियों में से 56 भारत में हैं। यह बात फोर्ब्स की सालाना सूची में कही गई, जिसमें 579 कंपनियों के साथ अमेरिका शीर्ष पर है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज फोर्ब्स की 2015 की ग्लोबल 2000 सूची में 56 भारतीय कंपनियों में अग्रणी है। इस सूची में विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है और इससे स्पष्ट...

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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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भूमंडलीकरण के दौर में मजदूर दिवस- कृष्ण प्रताप सिंह

भूमंडलीकरण व्यापने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में ऐसा नहीं है! और तो और, इस देश में ऐसी कोई परंपरा भी नहीं बन पायी है, जिससे मजदूरों के संदेशों को दूसरी नहीं तो कम-से-कम उनकी अपनी जमातों तक पहुंचाया जा सके. ऐसे दुर्दिन में मजदूर दिवस पर कोई भी सार्थक बातचीत उसके सामान्य परिचय...

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