डिजिटल इंडिया कार्यक्रम लोगों को सशक्त बनाएगा और वास्तव में भारत को बदल डालेगा। मौजूदा केंद्र सरकार ने 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' का जो वायदा किया है, उसे साकार करने में यह प्रमुख भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यूनतम सरकार' की परिभाषा में एक ऐसे सरकार की परिकल्पना है, जिसमें मंजूरी की आवश्यकता न्यूनतम हो और नागरिकों के साथ उसका निरंतर संवाद हो। इसी तरह से 'अधिकतम...
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जब साफ है गंगा तो फिर अरबों का खर्च क्यों
संतोष शुक्ल, मेरठ। गंगा नदी के कायाकल्प का दम भरने वाली केंद्र सरकार भ्रामक आंकड़ों में उलझ गई। क्लीन गंगा मिशन जिन आंकड़ों पर आगे बढ़ रहा है, उसके मुताबिक गंगाजल पूरी तरह प्रदूषणमुक्त है। इस रिपोर्ट में गंगाजल में पीएच मान, घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ), बायोडिसॉल्व्ड आक्सीजन (बीडीओ) एवं कोलीफार्म का लोड संतुलित बताकर सफाई योजना के औचित्य पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया गया है। अगर गंगा नदी में...
More »महिलाएं सीधे 'मुख्यमंत्री' से करवा रहीं बस्ती के काम
इंदौर(मध्यप्रदेश)। बस्ती के कोने से पानी ढोकर लाना, दूर कचरा फेकने जाना वैसे ही आसान नहीं होता और उस पर मनचलों की निगाहें। हर सरकारी प्लेटफार्म पर ढेरों शिकायतें करके देखीं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। परेशान होकर महिलाओं ने सरकारी सिस्टम से काम करवाने की नई तरकीब निकाली। अलग-अलग बस्तियों में महिलाओं ने एकजुट होकर सीधे मुख्यमंत्री से समस्या का समाधान करवाने का अभियान शुरू किया। एक समस्या के लिए...
More »जमीन पर न उतर सकीं अरबों की रेल परियोजनाएं
दिलीप सिंह, अमेठी। सरकार क्या बदली, योजनाओं की रफ्तार भी थम गई यहां। विकास मीलों पीछे और राजनीति कोसों आगे हो गई है। अमेठी व रायबरेली के लोगों की उम्मीदें "राजनीतिक शिकार" हो गई हैं। यहां कभी गाजे-बाजे के साथ शिलान्यास की गई अरबों की रेल परियोजनाओं की शिलाएं अपनी दुर्दशा पर जार-जार रो रही हैं। यह तो बानगी भर है जनाब। न जाने और कितनी योजनाएं अपने पूरा होने की...
More »टीवी ट्रायल : 'इंस्टैंट इंसाफ" के खतरे - कंदर्प
क्या आपने 'लिंचिंग" के बारे में सुना है? जब कोई भड़काई गई भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कोई मुकदमा चलाए तुरंत सजा दे देती है। जैसे दीमापुर (नागालैंड) में 5 मार्च के दिन एक ऐसी ही गुस्साई भीड़ ने जेल तोड़कर रेप के आरोपी को निकाला और उसे मार-मार के मौत के घाट उतार दिया। क्या लगता है ऐसी घटनाओं को पढ़कर या सुनकर? कि ये बर्बरताएं हैं, कि हम अभी...
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