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गांव को गोद लेगी इस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड

आसनसोल: इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने शनिवार को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईल) का 40वां स्थापना दिवस मनाया. कंपनी मुख्यालय सांकतोडिया में कई कार्यक्र म आयोजित हुए. सनद रहे कि एक नवम्बर, 1975 को कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कर कोल इंडिया की स्थापना की गयी थी. कार्मिक निदेशक केएस पात्र एवं तकनीकी निदेशक (योजना एवं परियोजना) बीआर रेड्डी ने कंपनी के समस्त श्रमिकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों को कंपनी के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए...

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'नक्सल उन्मूलन के नाम पर पुलिस कर रही फर्जी मुठभेड़'

जगदलपुर(ब्यूरो)। नक्सलियों ने बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान को मिल रही सफलता को नक्सलियों ने फर्जी करार दिया है। नक्सली नेता गणेश उईके ने मीडिया को जारी बयान में नक्सल विरोधी अभियान की एकतरफा रिपोर्टिंग के लिए मीडिया की भी आलोचना की है। दक्षिण बस्तर रीजनल कमेटी सीपीआई माओवादी(प्रतिबंधित) के सचिव गणेश उईके ने जारी बयान में कहा है कि फासिस्ट मोदी सरकार जनता को विकास का सब्जबाग दिखाकर क्रांतिकारी आंदोलन...

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ताकतवर हो रहे मच्‍छर,रिसर्च कहती है डोज ज्यादा लगेगा

राजीव उपाध्याय, जबलपुर। मच्छर अब और अधिक ताकतवर हो रहा है। इसकी ताकत बढ़ा रहा है इसके पैरासाइट का माल्युक्यूल्स (गुणसूत्र)। पैरासाइट के गुणसूत्र की संरचना में परिवर्तन इसे ताकतवर बना रहा है। इसका असर सीधे आम जनता पर इस तरह पड़ेगा कि मलेरिया होने पर उसे दवाओं का डोज अधिक लेना पड़ेगा। उत्तर-पूर्वी राज्यों में मच्छरों के ताकतवर होने पर मलेरिया की दवाएं बेअसर हो चुकी हैं। इसकी शुरुआत...

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गांधी, गांव और इश्तहार- चंदन श्रीवास्तव

बड़ा फर्क है गांधी और आंबेडकर की सोच में बसे गांव के बीच. गांधी के गांव में हिंसा है ही नहीं. गांधी की कल्पना में बसते गांव में भूमिहीन और भूस्वामी बिना झगड़े के रहते हैं. गांधी से किसी ने पूछा- बताइए, गांव के भूमिहीन और भूस्वामियों के बीच कैसे बराबरी स्थापित होगी? उनका जवाब था- भूस्वामी स्वयं ही अपनी भूमि पर दावा छोड़ भूमिहीनों की मदद के लिए आगे...

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रोजगार गारंटी का क्या विकल्प? - डॉ. भरत झुनझुनवाला

इसमें कोई संदेह नहीं कि मनरेगा के कारण गरीबों को बड़ी राहत मिली है। मनरेगा के लागू होने के बाद दो वर्षों के अंदर खेत मजदूरों की दिहाड़ी 120 रुपए से बढ़कर 250 हो गई थी। बिहार के श्रमिकों ने पंजाब जाना कम कर दिया था, क्योंकि उन्हें घर के पास रोजगार मिल रहा था, चाहे वह सीमित मात्रा में ही क्यों न हो। इस कार्यक्रम पर अब केंद्र सरकार...

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