अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
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30 साल के सबसे बड़े सूखे जैसे हालात, घट सकती है GDP की ग्रोथ रेट
नई दिल्ली। अल नीनो की वजह से कमजोर होते मानसून ने देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में लगातार दूसरे साल फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल हो गया है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन से लेकर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि करीब 30 साल बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इकोनॉमिस्ट के अनुसार अगर स्थिति...
More »देशभर में प्याज की कीमतों में लगी आग, हर मोर्चे पर सरकार लाचार-- अमलेश नंदन
देशभर में प्याज की कीमतें आम आदमी को रुला रही हैं. महानगरों में प्याज के भाव खुदरा मंडियों में क्वालिटी के हिसाब से 80 से 100 रुपये प्रति किलो हैं. जबकि अनय शहरों और यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी प्याज 50 से 70 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं. प्याज की कीमतों में हर दूसरे दिन वृद्धि देखने को मिल रही है. खबरे आ रही है कि नासिक...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »स्वराज अभियान में नया मोड़, जेल से रिहा हुए ‘आप’ के पूर्व नेता योगेंद्र यादव
किसानों के मुद्दे पर केंद्र से हठजोड़ कर रहे योगेंद्र यादव सहित 86 किसानों की हिरफ्तारी के बाद स्वराज अभियान ने नया मोड़ ले लिया है। कभी साथी रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़े हो गए। केजरीवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की । पुलिसिया कार्यवाई को अनावश्यक बताया ।...
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