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बीजापुर : गांवों में इलाज के लिए करना पड़ता है 25 किमी का सफर

बीजापुर(निप्र)। अंतिम गांव और अंतिम मकान तक विकास के सरकारी दावे महज कागजों और दिवारों तक ही सिमट कर रह गए हैं। बीजापुर जिले में आज भी दर्जनों गांव ऐसे हैं जो सरकार की पहुंच से कोसों दूर हैं इन्ही गांवों में रेडडी, चिन्ना जोजेर, पेददा जोजेर, कमकानार, चोखनपाल और पुसनार जैसे गांवों भी शामिल हैं। जहां सरकार तो क्या सरकार का कोई नुमाइंदा भी पिछले बीस वर्षों से नहीं पहुंच...

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बिहार में दस में से छह शिक्षक पढ़ाने के काबिल नहीं

पटना : बिहार के स्कूलों में पढ़ाने वाले नियमित शिक्षकों में करीब 57 फीसदी के पास पेशेवर योग्यता नहीं है जबकि अनुबंध वाले ऐसे शिक्षकों की संख्या 58 फीसदी है. इसका अर्थ है कि दस में करीब छह शिक्षक पेशेवर तौर पर पढ़ाने के काबिल नहीं हैं. राज्य में प्राइमरी, अपर प्राइमरी सहित अन्य सभी तरह के स्कूलों में शिक्षकों की तादाद 4 लाख 20 हजार 912 है. इनमें से...

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मिड मील से खुले चौकाने वाले तथ्य - मनोज धर द्विवेदी

शिक्षा विभाग के फर्जी दाखिले की जांच में चौकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें मिड-डे-मील लेने वाले छात्रों और ब्लॉक मौलिक शिक्षा अधिकारी की ओर से भेजी गई छात्रों की संख्या में पांच हजार सात सौ छत्तीस छात्रों का अंतर पाया गया है। मामला सामने आने के बाद विभाग इसकी जांच में जुट गया है। शिक्षा विभाग कक्षा से लेकर आठवीं तक के बच्चों को दोहपर में मिड-डे-मील उपलब्ध कराता...

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सोच बदलने से बढ़ेगी साक्षरता- वरुण गांधी

वर्ष 2014 में देश में तीस करोड़ से ज्यादा बच्चे 6-17 के आयुवर्ग के थे। देश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या क्रमशः 1,191,719 और 233,845 हैं, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा सकल पंजीकरण अनुपात क्रमशः 73.6 और 49.1 है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में तो यह अनुपात महज 21.1 फीसदी है। वहीं प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात क्रमशः 28 और 40...

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सरकारी स्कूलों के ज्यादातर बच्चे नहीं बोल पाते ए, बी, सी, डी...

रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग इस बार पहली से आठवीं तक वार्षिक परीक्षा लेने की तैयारी कर रहा है। वहीं सरकारी स्कूलों में पिछले चार-पांच सालों से सतत मूल्यांकन के नाम पर चल रहे फेल न करने के खेल ने पढ़ाई का कबाड़ा कर दिया है। आलम यह है कि राजधानी के सरकारी स्कूलों के पांचवीं क्लास के ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी की ए, बी, सी, डी...(अल्फाबेट) भी ठीक से नहीं बोल पाते...

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