वाशिंगटन : दुनियाभर में आर्थिक मंदी और खाद्यान्न की कीमतों में उछाल का असर अमेरिका पर इतना गहरा हुआ है कि उसकी 20 फ़ीसदी आबादी के पास दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. अमेरिका में हाल में कराये गये एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि 2009 में हर पांच में से एक अमेरिकी परिवार के सामने कम से कम एक बार ऐसे हालात पैदा हो गए थे कि उनके पास...
More »SEARCH RESULT
बाप रे बाप! इतनी महंगाई में 12 बच्चे
कठुआ, वरिष्ठ संवाददाता : देश में बढ़ती आबादी से आने वाले समय में होने वाली समस्याओं को देखते हुए सरकार ने कई उपाय शुरू कर रखे है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण परिवार नियोजन कार्यक्रम है, जो पूरे देश में चलाया जा रहा है। लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग है, जिन्हें सरकार के इस कार्यक्रम से कुछ लेना देना नहीं है। वे अभी भी 12-12 बच्चे पैदा कर सरकार के कार्यक्रमों को झटका दे रहे...
More »पांच अनाथ बच्चों की कब बदलेगी किस्मत?
इंद्री, संवाद सहयोगी : पहले मां फिर पिता का साया उनके सिर से उठ गया। उम्र इतनी नहीं है कि वे अपने पैर पर खड़ा हो जाएं। इस दयनीय हालात में सरकारी अमले की कार्रवाई भी उन्हें राहत देने के बदले नुकसान पहुंचा रहा है। यह कहानी है गाव खेड़ा में रहने वाले पाच बच्चों की। वे तीनों अनाथ हैं। जिस बीपीएल कार्ड के कारण इस परिवार का पक्का मकान बना था, अब...
More »भूखे पेट ने रोका न्याय का रास्ता
भारत भूषण, कपूरथला; 'बाबू जी हमार बच्चों को खिलान-पिलान के लिए हमार पास कुछ नाहीं है। पापी पेटवा के खातिर हमें मजूरी करनी ही पड़ेगी।' यह दर्द भरे शब्द थे, गुंडों के हाथों मार खाए बैठी झुग्गी बस्ती की सदस्य बसंतो पासवान के। भूखे पेट और गरीबी ने बेइज्जत हुए इन लोगों को इस कदर मजबूर कर दिया है कि उन्हें घायल अवस्था में भी काम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। उल्लेखनीय...
More »कितना भूखा है मध्यप्रदेश: शिरीष खरे
झाबुआ, मध्यप्रदेश: कुपोषण ने दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को निगला है- यह हाल आदिवासी जिले झाबुआ का है, जहां मेघनगर ब्लाक के अगासिया और मदारानी गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला है कि टूटता ही नहीं। फिलहाल पूरा मध्यप्रदेश ही इतना भूखा है कि यहां न जाने क्यों भूख का नामोनिशान है कि मिटता ही नहीं ?केवल अक्टूबर में ही झाबुआ के इन 2 गांवों से 25 बच्चों...
More »