भारत में चार लाख 13 हजार 670 भिखारी हैं। दो लाख 21 हजार 673 इनमें पुरुष हैं, जबकि एक लाख 91 हजार 997 महिलाएं हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में भिखारियों और बेघरों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। तकरीबन चार लाख भिखारियों में 81 हजार सिर्फ पश्चिम बंगाल में रहते हैं। लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां सिर्फ दो भिखारी हैं। यह जगह लक्षद्वीप है। ये सारे दावे...
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विज्ञान के लिए राष्ट्रीय नीति की जरूरत
हाल में विज्ञान के सबसे बड़े सालाना सम्मेलन- भारतीय विज्ञान कांग्रेस का इंफल में उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक आम लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान करें और वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाएं। इससे युवाओं में वैज्ञानिक चेतना जाग्रत होगी और शोध-अनुसंधान का माहौल भी बनेगा। असल में पिछले एक सौ चार सालों से चल रहे विज्ञान कांग्रेस के इस आयोजन का भी मुख्य...
More »लैंगिक समानता की खंडित परिभाषा-- ऋतु सारस्वत
खेलों में स्त्री-पुरुष समानता के लिए काम करने वाली बिली जीन किंग ने महिलाओं के लिए सफल लड़ाई लड़ने के बाद पुरुष खिलाड़ियों की समानता के लिए पहल की है। बिली ने कहा ‘महिला खिलाड़ी की तरह पुरुष टेनिस खिलाड़ियों का मैच भी वेस्ट आॅफ थ्री सेट कर देना चाहिए। फिलहाल पुरुष खिलाड़ी पांच सेट का मैच खेलते हैं। इससे पुरुषों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और उनके चोटिल...
More »सूरज की किरणों से बंधती एक उम्मीद-- विजय कुमार चौधरी
दुनिया अब फिर से सूरज की ओर देख रही है। फॉसिल फ्यूल के प्रदूषण से परेशान और ग्लोबल वार्मिंग की आशंकाओं से चिंतित दुनिया की सारी उम्मीदें अब सूर्य के प्रकाश पर ही टिक गई हैं। 11 फरवरी को नई दिल्ली में भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेश्नल सोलर एलायंस) के पहले शिखर सम्मेलन को इसी दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है। यह...
More »ज्ञान की ये कैसी अंधी-महंगी दौड़! - गिरीश्वर मिश्र
भारत में शिक्षा को एक रामबाण औषधि के रूप में हर मर्ज की दवा मान लिया गया और उसके विस्तार की कोशिश शुरू हो गई बिना यह जाने-बूझे कि इसके अनियंत्रित विस्तार के क्या परिणाम होंगे? सामाजिक परिवर्तन की मुहिम शुरू हुई और भारतीय समाज की प्रकृति को देशज दृष्टि से देखे बिना हस्तक्षेप शुरू हो गए। दुर्भाग्य से ये हस्तक्षेप अंग्रेजी उपनिवेश के विस्तार ही साबित हुए हैं। स्मरणीय...
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