हमारे देश में महानगरों की हालत इतनी बुरी क्यों है, यह समझना है तो दिल्ली आइए. लोकतांत्रिक चुनाव इसे बदलने में क्यों असफल रहते हैं, यह जानने के लिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते रहिए. हमारे शहरों-महानगरों में सरकार एक भूल-भुलैया है. सरकारी बाबू के सिवा किसी को नहीं पता कि किसका क्या अधिकार क्षेत्र है. दिल्ली शहर में तीन सरकारों का राज चलता है- उपराज्यपाल...
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विकास सूचकांक में पिछड़ने की टीस--- जयश्री सेनगुप्ता
वर्ष 2016 को लेकर जारी की गई संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक सूची में कुल 188 देशों में भारत पिछले साल के 130वें स्थान से एक पायदान नीचे लुढ़ककर 131वें नंबर पर जा पहुंचा है, जबकि नॉर्वे को पहला स्थान मिला है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की आखिरी तिमाही में नोटबंदी और इसके विपरीत असर के बावजूद हमारी कुल सकल आय यानी जीडीपी में 7.1 प्रतिशत की प्रभावशाली...
More »चेन्नई की सड़कों से यूरोप तक जयवेल का सफर
जयवेल का जन्म चेन्नई की गलियों में ही हुआ. उसके माता-पिता आंध्र के नेल्लोर गांव के किसान थे. वह भारी कर्ज में फंसे थे. उन्होंने अपनी जमीन बेची और काम की आस में शहर आ गये. महीनों तक काम ढूंढ़ने पर भी जब नाकामयाबी ही हाथ लगी तो भीख मांगकर गुजारा करना शुरू कर दिया. जयवेल भी बड़ी बहनों और छोटे भाई के साथ भीख मांगने लगे. इसके बावजूद...
More »जंगल से आती है भोजन की थाली-- बाबा मायाराम
पिछले साल सत्रह सितम्बर की सुबह 10 बजे थे। ओडिशा का छोटा कस्बा था मुनिगुड़ा। स्कूली बच्चों की एक टोली की भीड़ जमा है। यहां एक खाद्य प्रदर्शनी लगी है। कोई बैल की आकृति का भूरा कांदा, गुलाबी और लाल बेर, गहनों की तरह चमकते मक्के के भुट्टे, काली और सुनहरी धान की बालियां,फल्लियां और छोटे दाने का सांवा, कुटकी और मोतियों की तरह की ज्वार। इस खाद्य प्रदर्शनी में...
More »BIHAR BUDGET 2017 : शिक्षा पर होगा सबसे ज्यादा खर्च
बिहार सरकार की ओर से प्रस्तुत किये गये बजट में शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है. 2017-18 के लिए शिक्षा विभाग के लिए सरकार ने 25,251.39 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो पिछले साल की तुलना में 3354 करोड़ रुपये अधिक है. राज्य सरकार तीन नये विश्वविद्यालय भी इस साल खोलने जा रही है. साथ ही मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत दो सालों में सभी घरों में...
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