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किसी भी सूरत में नहीं हटने देंगे ऑटो रिक्शा

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : सरकार द्वारा ऑटो रिक्शा को दिल्ली से हटाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया है। बृहस्पतिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों ऑटो चालकों ने भारतीय मजदूर संघ की अगुवाई वाले दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के नेतृत्व में दोपहर दो घंटे तक काम बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली के खिलाफ नारेबाजी भी की। आपरेटरों ने कहा कि किसी...

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जल का संरक्षण करें दिल्लीवासी : शीला

दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद पुनर्चक्रण जल उपचार संयंत्र से मंगलवार को पानी की आपूर्ति शुरू हो गई। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मंगलवार को इसका शुभारंभ करते हुए दिल्लीवासियों से जल संरक्षण की अपील की। यह पुनर्चक्रित जल उपचार संयंत्र 11 मिलियन गैलन दैनिक क्षमता का है। इसके शुरू होने से बुराड़ी एवं उत्तार दिल्ली क्षेत्र के लगभग पांच लाख लोग लाभान्वित होंगे। इस संयंत्र के चालू होने से वजीराबाद संयंत्र पर विद्यमान जल उपचार क्षमता...

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गांव की मिट्टी ने किया परदेस से लौटने को मजबूर

बिक्रमगंज (रोहतास)। जज्बा हो तो पत्थर पर भी दूब उगाई जा सकती है। यानी संकल्प के साथ शुरू किया गया कठिन से कठिन काम आसान हो जाता है। इंद्राथ के किसानों को ही देखें। दशकों तक यहां परती पड़ी ऊसर जमीन आज लहलहा रही है। किसान इसपर नगदी फसल के रूप में सब्जी उगाकर खुशहाल हो रहे हैं। उनकी मेहनत ने गांव की सूरत ही बदल दी है। नतीजा शहरों में रोजगार को गए गये...

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नर्मदा मैया के साथ भी खिलवाड़

भोपाल. भास्कर ने रविवार के अंक में बताया था कि किस तरह नेताओं ने अपनी जमीन बचाने के लिए नर्मदा पाइप लाइन का रुख मोड़ दिया, लेकिन ‘प्रभावशालियों’ की हिमाकत यहीं खत्म नहीं हुई। इन लोगों ने तो नर्मदा नदी को तबाह करने का भी पूरा इंतजाम कर रखा है। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी पर प्रदूषण से बड़ा खतरा अवैध खनन में लगे माफियाओं से है। नेता, अफसर और ठेकेदार मिलकर नदी...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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