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उत्तराखंड में बनेगा हिमनद प्राधिकरण

देहरादून। उत्तराखंड के हिमनदों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने अनूठी पहल की हैं। सरकार ने इनके संरक्षण के लिए हिमनद प्राधिकरण बनाने का निर्णय लिया हैं। हिमनद प्राधिकरण बनाने वाला उत्तराखंड विश्व का पहला राज्य होगा। सूत्रों के अनुसार इस प्रस्तावित प्राधिकरण का नाम स्नो एंड ग्लेशियर अथोरिटी रखा गया हैं। राज्य के मुख्यमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे। इसके निर्माण के लिए आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी...

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मुवानी घाटी में होगा सतावर का उत्पादन

पिथौरागढ़। जिले की प्रसिद्ध मुवानी घाटी में सतावर के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। हिमालय अध्ययन केन्द्र और हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी काश्तकारों को सतावर उत्पादन का प्रशिक्षण देंगे। गुरूवार को मुवानी घाटी में सतावर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में काश्तकारों को सतावर उत्पादन की तकनीक सिखाई गयी। हिमालय अध्ययन केन्द्र के भुवन पंत ने कहा मुवानी घाटी की भौगोलिक परिस्थितियां सतावर उत्पादन के...

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ग्लेशियर पिघलने से करोड़ों लोग होंगे प्रभावित

दुबई। आने वाले दशकों में हिमालय के ग्लेशियर पिघलकर छोटे होने से उनके आसपास रहने वाले करीब छह करोड़ लोगों को खाद्य पदार्थों की किल्लत के साथ-साथ पानी के स्रोत खत्म होने से फसलों के नुकसान से भी दो-चार होना पड़ेगा। हालैंड के वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया है। हालांकि साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लेखक वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह नुकसान जलवायु...

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समृद्ध वन्यजीवन वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान की सांस फूल रही है. हिमांशु बाजपे??

उम्मीदों का उजास और निराशा की स्याही दुधवा नेशनल पार्क के दो छोर हैं. इनके बीच में  ज़िंदगी के जितने रंग हैं, वे सब देखने को मिलते हैं. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में स्थित दुधवा की सैर करते हुए जल्दी ही अहसास हो जाता है कि पार्क में सब कुछ उतना ठीक नहीं है जितना पहली नजर में लगता है. हरे-भरे दुधवा के वन्य जीवन  को पेड़ों की अंधाधुंध कटाई...

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एक मटकी पानी, 65 फीट गहरा सफर

जोधपुर. दुनिया भले ही चांद पर पहुंच गई, लेकिन चांदेलाव की उमराव को आज भी एक मटकी पानी के लिए 65 फीट नीचे बेरी में उतरना पड़ता है। सरकार भले ही हजारों दावे करे लेकिन करीब 600 घरों वाले इस गांव की तो यही कहानी है। दिन में ये बेरी सूखी रहती है और शाम के बाद इसमें पानी रिसना शुरू होता है। लोग तड़के मुंह अंधेरे लालटेन की रोशनी में यहां उतरते हैं और...

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