SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 5902

लिंग अनुपात शर्मनाक: पढ़ें- कहां हुई सबसे ज्यादा बेटियों की हत्या

भारत में लिंग अनुपात वर्ष 2011-13 की तुलना में वर्ष 2012-14 में तीन अंक गिरा है। वर्ष 2011-13 में प्रति 1000 पुरुष 909 लड़कियां थी जो 2012-14 में घटकर 906 ही रह गई हैं। यह खुलासा सांख्यिकीय रिपोर्ट 2014 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) में हुआ है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लिंग अनुपात शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बिगड़ा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों...

More »

कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे--- अमरनाथ सिंह

वाराणसी में बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों के एक कार्यक्रम में अचानक हुई भगदड़ ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आज भी अपने देश में कारगर भीड़ प्रबंधन की कमी है। बात केवल वाराणसी की इस घटना की नहीं है। हर साल भीड़ के बेकाबू होने से हादसे होते हैं। हालांकि भगदड़ की घटनाएं केवल भारत में नहीं, विदेशों में भी होती हैं। लेकिन जहां विदेशों में...

More »

कचरे से जूझते हमारे शहर-- फिरोज वरुण गांधी

हमारे शहर संक्रामक रोगों के कब्जे में हैं। राजधानी दिल्ली तक इनसे नहीं बची है। डेंगू, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, टायफायड, स्वाइन फ्लू जैसे तमाम रोग तेजी से फैल रहे हैं। मैं खुद पिछले दो वर्षों में चिकनगुनिया व स्वाइन फ्लू का शिकार बन चुका हूं। इन बीमारियों का फैलना कोई नई प्रवृत्ति भी नहीं है। 23 सितंबर, 1994 का दिन याद कीजिए। उस दिन सूरत के कई हिस्सों में न्यूमोनिक प्लेग...

More »

कार्बन डाई आक्साइड को रोकने की दौड़ में भारत समेत छह देश

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाई आक्साइड (सीओ2) को पर्यावरण के अनुकूल पदार्थ में बदलने की वैश्विक प्रतियोगिता में भारत समेत छह देशों की टीमें अंतिम दौड़ में बची हैं। इस प्रतियोगिता के विजेता को 133.59 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। एक्सप्राइज नाम की इस प्रतियोगिता में नौ जजों के पैनल ने हाल में छह देशों की 27 टीमों के प्रस्तावों को चुना है। चयनित टीमों को अब एक साल का...

More »

जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close