नयी दिल्ली:देश की 67 %आबादी को सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न का कानूनी अधिकार दिलाने का लक्ष्य रखनेवाले महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा बिल को गुरुवार को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी. खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा, कानून को जल्द ही सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जायेगा. कानून प्रति व्यक्ति प्रत्येक माह पांच किलो चावल, गेहूं, मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रुपये की दर से देने की गारंटी करता है. केंद्र ने योजना को...
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जलयुद्ध की ओर बढ़ती दुनिया
विभिन्न अध्ययन एवं आकलन बताते हैं कि वर्ष 2050 तक विश्व की आबादी वर्तमान सात अरब से बढ़ कर नौ अरब तक पहुंच जायेगी. इस स्थिति में पानी और भोजन की मांग बढ़ेगी, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और भी गंभीर हो सकती है. दुनियाभर में पानी से जुड़े मसलों पर काम कर रहे संगठनों ने इसे लेकर चिंता जतायी है. इसी कड़ी में स्टॉकहोम में पिछले 22 वर्षो से...
More »65 से अधिक उम्र के लोगों को मिलेगा नि:शुल्क अनाज : सीएम
रांची/चाईबासा/गुवा/किरीबुरू. राज्य में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को नि:शुल्क अनाज दिया जाएगा। सरकार जल्द इसकी पहल करेगी। एक माह के भीतर पंचायत के मुखियाओं को सभी सुविधाएं दी जाएंगी। शहीदों के आश्रितों को सम्मान दिया जाएगा और झारखंडी परंपरा के तहत तीर-धनुष रखने वाले लोगों को सरकार सम्मानित करेगी। ये घोषणाएं रविवार को गुवा के फुटबाल ग्राउंड में आयोजित शहीदों की श्रद्धांजलि...
More »सिंचाई के बगैर लहलहाएंगी बंपर पैदावार वाली फसलें
सेंट लुईस, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। आधुनिक तकनीकी के बल पर दुनिया के ज्यादातर देशों ने नई हरित क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। कृषि वैज्ञानिकों की मौन लड़ाई खेती पर आने वाली आपदाओं को जीत रही है। नतीजतन, बिना सिंचाई के ही कीटमुक्त पौधों के जरिये फसलों की उत्पादकता को कई गुना तक बढ़ाना संभव हो गया है। भारत जैसे देश की खेती के लिए बायो टेक्नोलॉजी बेहद मुफीद...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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