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डॉक्टर ने बदली तीन सौ गांवों की तस्वीर

भारतीय रेलवे के कर्मचारी देवराव कोल्हे के पुत्र रवींद्र नागपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे। हर किसी को उनके डॉक्टर बनकर अपने गांव शेगाव लौटने का इंतजार था, लेकिन किसे मालूम था कि शहर में अच्छी प्रैक्टिस शुरू करने की बजाय रवींद्र एकदम उल्टी दिशा ही पकड़ लेंगे। वे महात्मा गांधी और विनोबा भावे की किताबों से बहुत प्रभावित थे। पढ़ाई पूरे होते-होते वे निश्चय कर चुके थे कि...

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समझ, संकल्प और इच्छाशक्ति का अकाल : योगेन्द्र यादव

वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो। जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की...

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एक टन प्याज बेचकर किसान ने कमाया एक रुपया

पुणे : प्याज की गिरती कीमतों से परेशान एक किसान ने यहां अपनी व्यथा सुनाते हुये कहा है कि जिला कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में लगभग एक टन प्याज बेचकर वह केवल एक रुपया ही कमा सका है. देवीदास परभाने (48) नाम के इस किसान का कहना है कि प्याज की कीमतों में गिरावट का असर उस जैसे कई किसानों पर पहले ही दिख रहा है. अन्य किसानों ने...

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पानी नहीं छोड़ा, किसान ने किया सूखी नहर में कूदने का प्रयास

कसरावद (खरगोन) (निप्र)। कर्ज में दबे एक किसान ने सूखी नहर में कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया। इस दौरान अन्य युवकों ने देख लिया और उसे बचाया। गांव लाकर समझाइश दी परंतु किसान एक ही बात कह रहा था- यदि नहर में पानी नहीं छोड़ा तो 5 लाख का कर्ज कैसे चुकाऊंगा।   घटना शनिवार को ग्राम बिठेर में हुई। किसान मुकेश पाटीदार (32) इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी नहीं...

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बिखरता बचपन--- प्रतीक्षा पांडे

आमतौर पर बच्चों के सामने किसी गंभीर बात पर चर्चा करते हुए हम सोचते हैं कि बच्चा है, नहीं समझेगा। लेकिन कई बार हमारी यह समझ उनकी समझ के आगे बौनी हो जाती है। जैसे वक्त के साथ हर चीज बदल रही है, वैसे ही बचपन भी बदल रहा है। मासूम और नादान बचपन अब समझदार और परिपक्व हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बचपन को संवारने या...

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