दो बजते ही स्कूल से छूटे ढेर सारे बच्चों की खिली हुई आवाज से मन ऐसे प्रसन्न हो उठता है जैसे शाम को घर लौटती चिड़िया का चहकते, शोर करते झुंड को देखना। मैं घर के एकदम पास स्थित सरकारी स्कूल की बात कर रहा हूं। चिल्ला गांव का स्कूल। लगभग तीन हजार बच्चे पॉश कॉलोनियों के बीचों-बीच। लेकिन इसमें इन सोसाइटियों का एक भी बच्चा पढ़ने नहीं जाता। इसके...
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टीवी एंकरों की बढ़ती ताकत! --- आकार पटेल
क्या हमारे देश में टेलीविजन एंकर बहुत ज्यादा ताकतवर हो गये हैं? मैं तो हां कहूंगा, खासकर टाइम्स नाउ के अर्नब गोस्वामी जैसे अंगरेजी के एंकर. यहां टेलीविजन एंकरों को ताकतवर कहने से मेरा तात्पर्य है कि वे रोजाना की बहस और महत्वपूर्ण बातों को प्रभावित कर सकते हैं. यह ताकत प्रिंट और इंटरनेट के बड़े पत्रकारों के पास नहीं है. मेरा यह भी कहना है कि अर्नब गोस्वामी जैसे...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
More »बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर
सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »शहरीकरण से दूर होगी गरीबी?-- अनुपम त्रिवेदी
पिछले महीने पुणे में स्मार्ट सिटी परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं, बल्कि गरीबी दूर करने का एक अवसर माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी में गरीबी कम करने की क्षमता है, तो वह हमारे शहर हैं, क्योंकि वहां काम के अवसर हैं. यही वजह है कि गरीब गांवों से निकल कर शहरों में जाते हैं. लेकिन, क्या यह सच...
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